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एक व्यक्ति अल्लाह के नबी- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के पास आकर बोलाः ऐ अल्लाह के रसूल, मैं हद (धार्मिक दंड) का अधिकारी…
एक व्यक्ति अल्लाह के नबी- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के पास आकर बोलाः ऐ अल्लाह के रसूल, मैं हद (धार्मिक दंड) का अधिकारी हो गया हूँ। अतः, मुझपर हद जारी कर दें।
अनस- रज़ियल्लाहु अन्हु- का वर्णन है कि एक व्यक्ति अल्लाह के नबी- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के पास आकर बोलाः ऐ अल्लाह के रसूल, मैं हद (धार्मिक दंड) का अधिकारी हो गया हूँ। अतः, मुझपर हद जारी कर दें। इसी बीच नमाज़ का समय आ गया और वह अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के साथ नमाज़ में शामिल हो गया। जब नमाज़ पूरी हो गई, तो फिर बोला कि ऐ अल्लाह के रसूल, मैं हद का हक़दार हो गया हूँ, अतः मुझपर अल्लाह की किताब का निर्णय लागू कर दें। इसपर आपने कहाः "क्या तू हमारे साथ नमाज़ में शरीक था?" उसने कहाः जी हाँ! तो आपने कहाः "जा, तुझे क्षमा कर दिया गया है।"
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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तौबा (प्रायश्चित)