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ठहरो! तुम उतना ही अमल करो, जितने की क्षमता रखते हो। अल्लाह की सौगंध, अल्लाह नहीं उकताएगा, यहाँ तक कि तुम ही उकता…
ठहरो! तुम उतना ही अमल करो, जितने की क्षमता रखते हो। अल्लाह की सौगंध, अल्लाह नहीं उकताएगा, यहाँ तक कि तुम ही उकता जाओगे। तथा आपकी नज़र में वही अमल सबसे प्रिय था, जिसे करने वाला हमेशा करता रहे।
आइशा -रज़ियल्लाहु अन्हा- से रिवायत है कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- एक बार उनके पास तशरीफ़ लाए। वहाँ एक औरत बैठी थी। आपने पूछाः "यह कौन है?" आइशा -रज़ियल्लाहु अन्हा- ने कहा कि यह अमुक औरत है, जो अपनी नमाज़ का हाल बयान कर रही है। आपने फ़रमाया : "ठहरो! तुम उतना ही अमल करो, जितने की क्षमता रखते हो। अल्लाह की सौगंध, अल्लाह नहीं उकताएगा, यहाँ तक कि तुम ही उकता जाओगे।" तथा आपकी नज़र में वही अमल सबसे प्रिय था, जिसे करने वाला हमेशा करता रहे।
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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रात की नमाज़