जब बंदा मुझसे एक बित्ता क़रीब आता है, तो मैं उससे एक हाथ क़रीब आता, जब वह मुझसे एक हाथ क़रीब आता है, तो मैं उससे दोनों…

जब बंदा मुझसे एक बित्ता क़रीब आता है, तो मैं उससे एक हाथ क़रीब आता, जब वह मुझसे एक हाथ क़रीब आता है, तो मैं उससे दोनों हाथों को फैलाकर जितनी दूरी बनती है, उतना क़रीब आता हूँ और जब वह मेरे पास चलकर आता है, तो मैं उसके पास दौड़ कर आता हूँ।

अनस बिन मालिक और अबू हुरैरा -अल्लाह उन दोनों से प्रसन्न हो- से रिवायत है कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- अपने रब से रिवायत करते हुए कहते हैं कि अल्लाह तआला फरमाता है : "जब बंदा मुझसे एक बित्ता क़रीब आता है, तो मैं उससे एक हाथ क़रीब आता, जब वह मुझसे एक हाथ क़रीब आता है, तो मैं उससे दोनों हाथों को फैलाकर जितनी दूरी बनती है, उतना क़रीब आता हूँ और जब वह मेरे पास चलकर आता है, तो मैं उसके पास दौड़ कर आता हूँ।"

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।]

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अल्लाह के नामों और गुणों से संबंधित एकेश्वरवाद, सुकर्मों की फ़ज़ीलतें