तुममें से जो अपने परिवार के प्रति क़सम खाता है और उसपर अटल रहता है, तो वह प्रायश्चित, जिसे अल्लाह ने उसपर फ़र्ज़…

तुममें से जो अपने परिवार के प्रति क़सम खाता है और उसपर अटल रहता है, तो वह प्रायश्चित, जिसे अल्लाह ने उसपर फ़र्ज़ किया है, उसे देने और क़सम न तोड़ने के विपरीत अधिक पापी है

अबु हुरैरा (रज़ियल्लाहु अनहु) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया: तुममें से जो अपने परिवार के प्रति क़सम खाता है और उसपर अटल रहता है, तो वह प्रायश्चित, जिसे अल्लाह ने उसपर फ़र्ज़ किया है, उसे देने और क़सम न तोड़ने के मुक़ाबले में अधिक पापी है।

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

التصنيفات

क़समें