إعدادات العرض
1- मुझे अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने आदेश दिया कि मैं आपकी कुरबानी के जानवरों की देखरेख करूँ तथा उनके मांस, खालों (चमड़ों) और झूलों को सदक़ा कर दूँ और कसाई को उनमें से कुछ भी न दूँ।
2- रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने एक बार हरम- मक्का- में कुर्बानी के लिए बकरी भेजी।
3- मैंने अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की कुरबानी के लिए अपने हाथों से हार तैयार किए, फिर हदी के जानवरों पर निशान लगाए और आपने उन्हें हार पहनाए- अथवा मैंने हार पहनाए-, फिर उन्हें काबा की ओर भेज दिया और खुद मदीना में ही रहे। इससे आप पर कोई चीज़ हराम नहीं हुई, जो पहले हलाल थी।
4- अल्लाह के नबी- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने एक व्यक्ति को कुरबानी का ऊँट हाँककर ले जाते देखा, तो कहा कि उसपर सवार हो जा। उसने कहाः यह तो कुरबानी का जानवर है। आप ने कहाः सवार हो जा।
5- अगर मुझे पहले वह बात मालूम हो गई होती, जो बाद में मालूम हुई, तो मैं साथ में क़ुरबानी का जानवर न लाता तथा यदि मैं क़ुरबानी का जानवर न लाया होता, तो हलाल हो जाता।
6- हमने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के साथ हुदैबिया के साल एक ऊँट सात लोगों की ओर से ज़बह किया तथा एक गाय सात लोगों की ओर से ज़बह किया।