मैं निश्चित रूप से जानता हूँ कि कब तुम मुझ से ख़ुश रहती हो और कब मुझ से नाराज़ रहती हो।

मैं निश्चित रूप से जानता हूँ कि कब तुम मुझ से ख़ुश रहती हो और कब मुझ से नाराज़ रहती हो।

आइशा -रज़ियल्लाहु अन्हा- कहती हैं कि मुझसे अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फरमायाः "मैं निश्चित रूप से जानता हूँ कि कब तुम मुझ से ख़ुश रहती हो और कब मुझ से नाराज़ रहती हो।" मैंने कहाः "आप को इसका ज्ञान कैसाहोता है?" आपने फरमाया: "जब तुम मुझसे ख़ुश होती हो, तो बात करते समय कहती हो, नहीं, मुहम्मद के रब की क़सम! और जब तुम मुझसे ख़फ़ा होती हो, तो कहती हो, नहीं इबराहीम के रब की क़सम!" आइशा -रज़ियल्लाहु अन्हा- कहती हैं कि मैंने कहाः हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल, यह तो सही है, मगर अल्लाह की क़सम, मैं केवल आपका नाम ही छोड़ती हूँ।

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

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आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पत्नियाँ और आपके घर के हालात