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1- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की मृत्यु हुई तो मेरे घर में कुछ नहीं था, जिसे कोई जानदार खाता। हाँ, मेरे पास एक ताक में थोड़ा-सा जौ रखा हुआ था, जिसे मैं लंबे समय तक खाती रही। (अंत में एक दिन) मैंने उसे नापा तो वह समाप्त हो गया।
2- आयशा- रज़ियल्लाहु अन्हा- से प्रश्न किया गया कि अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- अपने घर में क्या करते थे? उन्होंने उत्तर दिया किः आप भी मनुष्यों के समान एक मनुष्य थे, कपड़ों से जूंए निकालते, बकरी दूहते तथा अपने काम स्वयं करते।
3- अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) घर में क्या करते थे? उन्होंने कहा कि आप अपने घर वालों की सेवा में लगे रहते और जब नमाज़ का समय आता, तो नमाज़ के लिए चले जाते
4- जब तक ख़दीजा -रज़ियल्लाहु अन्हा- जीवित रहीं, नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने दूसरा निकाह नहीं किया।
5- "ऐ आइश! यह जिबरील हैं, जो तुम्हें सलाम कहते हैं।" तो मैंने यूँ जवाब दियाः "व अलैहिस्सलाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु। आप वह देखते हैं, जो मैं नहीं देखती।"
6- पुरुषों में से बहुत-से लोग संपूर्ण हुए, लेकिन स्त्रियों में से संपूर्ण केवल फ़िरऔन की पत्नी आसिया और मरयम बिंत इमरान हुईं। हाँ, सारी स्त्रियों में आइशा का वही स्थान है, जो सारे खानों में सरीद का है।
7- मैं निश्चित रूप से जानता हूँ कि कब तुम मुझ से ख़ुश रहती हो और कब मुझ से नाराज़ रहती हो।
8- नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अपनी एक पत्नी का वलीमा दो मुद्द जौ से किया था।
9- तुम्हारे पति के निकट तुम्हारे मान-सम्मान में कोई कमी नहीं है। यदि तुम चाहो, तो मैं तुम्हारे पास सात दिन रहूँगा। और अगर तुम्हारे पास सात दिन रहूँगा, तो शेष स्त्रियों के पास भी सात दिन रहूँगा।
10- लेकिन मैं अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के भेद को सामने लाना नहीं चाहता था। यदि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) उसे छोड़ देते, तो मैं स्वीकार कर लेता।
11- अल्लाह से भय करो और अपनी पत्नी को अपने पास रोके रखो।
12- मुझे नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की पत्नियों में से केवेल ख़दीजा पर ग़ैरत आती थी। हालाँकि मेरे विवाह से पहले ही उनका निधन हो चुका था। वह कहती हैंः अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- जब बकरी ज़बह करते, तो कहतेः "इस में से ख़दीजा की सहेलियों को भेजो।"
13- नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) (कभी-कभी) सारी स्त्रियों के पास जाने के पश्चात एक ही दफा अंत में ग़ुस्ल (स्नान) करते थे।
14- नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मदीने और ख़ैबर के बीच तीन दिन रुके और वहीं सफ़िया (रज़ियल्लाहु अंहा) से (शादी के बाद) वैवाहिक संबंध स्थापित किया।