अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अपने कमरे के द्वार पर झगड़ने वालों की आवाज़ सुनी

अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अपने कमरे के द्वार पर झगड़ने वालों की आवाज़ सुनी

उम्मे सलमा (रज़ियल्लाहु अन्हा) से वर्णित है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अपने कमरे के द्वार पर कुछ झगड़ने वालों की आवाज़ सुनी, तो निकलकर उनके पास आए और फ़रमायाः "सुनो, मैं भी एक इनसान हूँ। मेरे पास झगड़ने वाले आते हैं। संभव है कि तुम में से कोई दूसरे के मुक़ाबले अपनी बात अधिक सफ़ाई से रखता हो और उसे सच्चा समझकर मैं उसके हक़ में फ़ैसला कर दूँ। अतः, जिसे मैंने किसी मुसलमान का हक़ दे दिया, वह दरअसल एक आग का टुकड़ा है। चाहे तो उसे उठा ले या चाहे तो छोड़ दे।"

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

الشرح

नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने अपने कमरे के द्वार पर कुछ लोगों का शोर और कोलाहल सुना, जो आपस में झगड़ रहे थे। अतः झगड़े का निपटारा करने के लिए बाहर आए और फ़रमाया : देखो, मैं भी तुम्हारी ही तरह एक इनसान हूँ। न तो मुझे परोक्ष का ज्ञान है और न मुझे गुप्त बातें बताई जाती हैं कि जान सकूँ कि कौन सच्चा है और कौन झूठा। मेरे पास लोग, अपने झगड़ों के निपटारे के लिए आते हैं और मेरा फ़ैसला दोनों पक्षों के प्रमाणों और क़समों पर आधारित होता है। ऐसे में संभव है कि तुममें से कोई अन्य की तुलना में स्पष्टता से बात रखने की क्षमता अधिक रखता हो और मैं उसे सच्चा समझकर उसी के हक़ में निर्णय कर दूँ, जबकि वास्तविक मामला कुछ और हो। अतः, जान लो कि मेरा निर्णय केवल ज़ाहिरी मामलों में होता है, बातिनी मामलों में नहीं और मेरा फ़ैसला कदापि किसी हराम को हलाल नहीं करता। इसलिए, जिसे मैं किसी दूसरे का अधिकार दे दूँ और उसे पता हो कि वह उसका अधिकार नहीं है, तो उसे मैं आग का एक टुकड़ा निकालकर दे रहा हूँ। अब यदि चाहे, तो उसे ल जाए और चाहे तो छोड़ दे। यानी किसी का अधिकार हड़पने का अंजाम स्वयं हड़ने वाले को भुगतना पड़ेगा और अल्लाह अत्याचारियों के घात में है।

التصنيفات

दावे तथा प्रमाण