अपने परिवार ओर वापस जाओ, उनके बीच रहो, उन्हें शिक्षा प्रदान करो, आदेश दो और अमुक नमाज़ अमुक समय में तथा अमुक नमाज़…

अपने परिवार ओर वापस जाओ, उनके बीच रहो, उन्हें शिक्षा प्रदान करो, आदेश दो और अमुक नमाज़ अमुक समय में तथा अमुक नमाज़ अमुक समय में पढ़ो। जब नमाज़ का समय आ जाए, तो तुममें से एक व्यक्ति तुम्हारे लिए अज़ान दे और तुममें सबसे अधिक आयु वाला व्यक्ति तुम्हारी इमामत करे।

अबू सुलैमान मालिक बिन हुवैरिस (रज़ियल्लाहु अंहु) कहते हैं कि हम लोग अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास आए। हम लोग उस समय लगभग समान आयु वाले जवान थे। हम आपके पास बीस दिन ठहरे। अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) बहुत ही दयालु और नरम स्वभाव के मालिक थे। आपको लगा कि हम लोग अपने परिवार की ओर लौटने की इच्छा रखते हैं, इसलिए हमसे हमारे परिवार के बारे में पूछा, तो हमने आपको बताया। इसपर आपने फ़रमायाः "अपने परिवार ओर वापस जाओ, उनके बीच रहो, उन्हें शिक्षा प्रदान करो, आदेश दो और अमुक नमाज़ अमुक समय में तथा अमुक नमाज़ अमुक समय में पढ़ो। जब नमाज़ का समय आ जाए, तो तुममें से एक व्यक्ति तुम्हारे लिए अज़ान दे और तुममें सबसे अधिक आयु वाला व्यक्ति तुम्हारी इमामत करे।"

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

التصنيفات

अज़ान तथा इक़ामत, जमात से पढ़ी जाने वाली नमाज़ की फ़ज़ीलत तथा अहकाम, इमाम तथा उसके पीछे नमाज़ पढ़ने वाले के अहकाम