जमात से पढ़ी जाने वाली नमाज़ की फ़ज़ीलत तथा अहकाम

जमात से पढ़ी जाने वाली नमाज़ की फ़ज़ीलत तथा अहकाम

1- नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के पास एक अंधा व्यक्ति आया, तथा कहा : ऐ अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ! मेरे पास कोई आदमी नहीं है जो मुझे मस्जिद तक लेकर आए । अतः उन्होंने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से इजाज़त चाही कि आप उन्हें घर पर ही नमाज़ पढ़ने की इजाज़त दे दें, तो आप ने उन्हें इजाज़त दे दी, लेकिन जब वह जाने लगे तो उन्हें बुलाया और फ़रमाया : “क्या तुम नमाज़ के लिए पुकारी जाने वाली अज़ान को सुनते हो? ” उन्होंने कहा : हाँ, तो आप ने फ़रमाया : “फिर तो तुम अवश्य उसका जवाब दो (नमाज़ पढ़ने के लिए मस्जिद आओ)।”