जो सुबह के समय या शाम के समय मस्जिद की ओर जाता है, तो वह सुबह या शाम को जब भी जाता है, उसके बदले अल्लाह उसके लिए जन्नत…

जो सुबह के समय या शाम के समय मस्जिद की ओर जाता है, तो वह सुबह या शाम को जब भी जाता है, उसके बदले अल्लाह उसके लिए जन्नत में सत्कार का सामान तैयार करता है।

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "जो सुबह के समय या शाम के समय मस्जिद की ओर जाता है, तो वह सुबह या शाम को जब भी जाता है, उसके बदले अल्लाह उसके लिए जन्नत में सत्कार का सामान तैयार करता है।"

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

الشرح

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इबादत, ज्ञान अर्जित करने या इस तरह के किसी नेक उद्देश्य की ख़ातिर किसी भी समय, दिन के पहले भाग में हो कि अंतिम भाग में, मस्जिद आने वाले को सुसमाचार सुनाया है कि वह रात या दिन के समय जब भी मस्जिद आता है, तो अल्लाह उसके लिए जन्नत में स्थान एवं आतिथ्य तैयार कर देता है।

فوائد الحديث

मस्जिद जाने की फ़ज़ीलत तथा वहाँ पाबंदी से फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ने की प्रेरणा। मस्जिदों से दूर रहने वाला व्यक्ति अनगिनत भलाइयों, फ़ज़ीलतों, प्रतिफल और अल्लाह की ओर आतिथ्य से वंचित हो जाता है।

जब हम इन्सान अपने घर आए हुए अतिथि का सत्कार करते हैं और उसे खाना खिलाते हैं, तो अल्लाह तो अपने बंदों की तुलना में कहीं बड़ा दाता एवं सम्मान देने वाला है। वह भी अपने घर आने वाले अतिथि का सत्कार करता है और उसे सम्मान देता है।

मस्जिद जाना एक ख़ुशी का काम है। क्योंकि इन्सान जितनी बार मस्जिद जाता है, उतनी बार उसके लिए मेहमानी तैयार की जाती है।

التصنيفات

जमात से पढ़ी जाने वाली नमाज़ की फ़ज़ीलत तथा अहकाम