एक व्यक्ति जुमा के दिन दारुल क़ज़ा (उमर- रज़ियल्लाहु अन्हु- के घर, जो उनकी मृत्यु के बाद उनके कर्ज़ की भुगतान के लिए…

एक व्यक्ति जुमा के दिन दारुल क़ज़ा (उमर- रज़ियल्लाहु अन्हु- के घर, जो उनकी मृत्यु के बाद उनके कर्ज़ की भुगतान के लिए बिक गया था) की दिशा में स्थित द्वार से मस्जिद के अंदर आया। रसूलुल्लाह- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- उस समय खड़े ख़ुतबा दे रहे थे।

अनस बिन मालिक- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि एक व्यक्ति जुमा के दिन दारुल क़ज़ा (उमर- रज़ियल्लाहु अन्हु- के घर, जो उनकी मृत्यु के बाद उनके कर्ज़ की भुगतान के लिए बिक गया था), की दिशा वाले द्वार से मस्जिद के अंदर आया। रसूलुल्लाह- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- उस समय खड़े ख़ुतबा दे रहे थे। वह आपकी ओर मुँह करके खड़ा हो गया और बोलाः ऐ अल्लाह के रसूल, माल-मवेशी हलाक हो गए और रास्ते अवरुद्ध हो गए। अल्लाह से दुआ करें कि हमें वर्षा प्रदान करे। अनस- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने अपने दोनों हाथ उठाकर फ़रमायाः ऐ अल्लाह, हमें वर्षा प्रदान कर। ऐ अल्लाह हमें वर्षा प्रदान कर। ऐ अल्लाह, हमें वर्षा प्रदान कर। अनस- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैंः क़सम अल्लाह की, हमें आकाश में कोई छोटा-बड़ा बादल का टुकड़ा दिख नहीं रहा था। हालाँकि हमारे और सला पहाड़ी के बीच न कोई छोटा घर था, न बड़ा। उनका कहना है कि अचानक सला पहाड़ी के पीछे से ढाल की तरह एक बादल का टुकड़ा प्रकट हुआ। फिर आकाश के बीचों-बीच आकर फैल गया और बरसने लगा। वह कहते हैं कि फिर हमने एक सप्ताह तक सूरज का मुँह नहीं देखा। अनस- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैंः दूसरे जुमा को फिर उसी द्वार से एक व्यक्ति अंदर आया। रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- खड़े ख़ुतबा दे रहे थे। वह आपकी ओर मुँह करके खड़ा हुआ और कहने लगाः ऐ अल्लाह के रसूल, माल-मवेशी हलाक हो गए और रास्ते अवरुद्ध हो गए। अल्लाह से दुआ करें कि हमसे वर्षा रोक ले। अनस- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल- ने अपने दोनों हाथ उठाए और कहने लगेः "ऐ अल्लाह अब हमें नहीं, हमारे आस-पास वर्षा नाज़िल कर। ऐ अल्लाह, टीलों, पहाड़ियों, वादियों और पेड़-पौधों के स्थानों पर बारिश उतार।" वह कहते हैं कि फिर देखते ही देखते बारिश थम गई और हम बाहर निकले तो धूप खिली हुई थी। शरीक कहते हैंः मैंने अनस बिन मालिक से पूछा कि क्या दूसरे जुमे को खड़ा होकर दुआ का निवेदन करने वाला व्यक्ति वही था, जिसने पहले जुमे को निवेदन किया था? तो उन्होंने कहा कि मुझे नहीं मालूम।

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

الشرح

नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जुमा के दिन अपनी मस्जिद में खड़े खुतबा दे रहे कि एक व्यक्ति मस्जिद में दाखिल हुआ, नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की ओर मुँह किया और अपनी परेशानी के हाल बयान करते हुए कहने लगा कि चारा न होने के कारण माल-मवेशी मर गए और बारिश बंद होने एवं सूखा पड़ने के कारण सवारी के ऊँट कमज़ोर हो जाने के परिणामस्वरूप रास्ते अवरुद्ध हो गए, अतः हमारे लिए इस आपदा से मुक्ति की दुआ करें। उनकी बात सुनकर नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अपने दोनों हाथ उठाए और कहने लगेः "ऐ अल्लाह हमें वर्षा प्रदान कर।" दुआ के इन शब्दों को तीन बार दोहराया, जैसा कि आपकी आदत थी कि दुआ एवं महत्वपूर्ण बातों को समझाने के लिए तीन बार कहा करते थे। उस समय आकाश साफ़-सुथरा था। बादल का नाम व निशान तक न था, लेकिन प्यारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की दुआ के बाद 'सला' पहाड़ी के पीछे से एक छोटा-सा बादल का टुकड़ा दिखाई दिया, फिर ऊपर उठने लगा। जब आकाश के बीचों-बीच आया, तो फैल गया और बरसने लगा और लगातार सात दिनों तक बरसता रहा। यहाँ तक कि जब दूसरा जुमा आ गया, तो एक व्यक्ति मस्जिद के अंदर आया। उस समय भी नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) खड़े खुतबा दे रहे थे। वह कहने लगा कि लगातार बारिश होने के कारण न तो मवेशियाँ चरने को जा पा रही हैं और न लोगों को रोज़ी की तलाश में कहीं जाने का अवसर मिल रहा है। अतः अल्लाह से दुआ कीजिए कि हमसे वर्षा रोक ले। चुनांचे फिर आपने हाथ उठाए और कहने लगे कि ऐ अल्लाह, अब मदीने के बजाय उसके आस-पास बारिश बरसा। ताकि लोगों को रोज़ी-रोटी की तलाश में निकलने में परेशानी न हो और मवेशियाँ भी चरने को जा सकें। अब यह बारिश वहाँ हो, जहाँ लाभकारी हो, जैसे पहाड़, टीले, वादियाँ और चरागाह आदि। आपकी दुआ का नतीजा फ़ौरन सामने आया और बारिश का सिलसिला थम गया। वे मस्जिद से निकले तो आकाश साफ़ था। बारिश बंद हो चुकी थी।

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बारिश माँगने की नमाज़