إعدادات العرض
निश्चय ही बड़ा बदला बड़ी परीक्षा के साथ है। जब अल्लाह किसी समुदाय से प्रेम करता है, तो उसकी परीक्षा लेता है। अतः, जो…
निश्चय ही बड़ा बदला बड़ी परीक्षा के साथ है। जब अल्लाह किसी समुदाय से प्रेम करता है, तो उसकी परीक्षा लेता है। अतः, जो अल्लाह के निर्णय से संतुष्ट रहेगा, उससे अल्लाह प्रसन्न होगा और जो असंतुष्टी दिखाएगा, उससे अल्लाह नाराज रहेगा
अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अनहु) रिवायत करते हैं कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया : निश्चय ही बड़ा बदला बड़ी परीक्षा के साथ है। जब अल्लाह किसी समुदाय से प्रेम करता है, तो उसकी परीक्षा लेता है। अतः, जो अल्लाह के निर्णय से संतुष्ट रहेगा, उससे अल्लाह प्रसन्न होगा और जो असंतोष प्रकट करेगा, उससे अल्लाह नाराज़ होगा।
الترجمة
العربية বাংলা Bosanski English Español فارسی Français Bahasa Indonesia Русский Tagalog Türkçe اردو 中文 ئۇيغۇرچە Kurdî Hausa Português മലയാളം తెలుగు Kiswahili မြန်မာ Deutsch 日本語 پښتو Tiếng Việt অসমীয়া Shqip සිංහල தமிழ்الشرح
अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) इस हदीस में हमें बता रहे हैं कि मोमिन को कभी-कभी शारीरिक, आर्थिक अथवा अन्य परेशानियाँ आती हैं। ऐसे में यदि वह धैर्य से काम लेता है, तो अल्लाह उसे उन परेशानियों का अच्छा बदला देगा। संकट जितना बड़ा और पीड़ादायक होगा, उसका बदला भी उतना ही बड़ा मिलेगा। फिर बताया कि यह परेशानियाँ बंदे से अल्लाह के प्रेम की निशानी हैं और अल्लाह का निर्णय हर हाल में लागू होकर रहता है। लेकिन जो धैर्य से काम लेगा और संतुष्ट रहेगा, तो बदले के तौर पर अल्लाह उससे प्रसन्न होगा और उसे यथेष्ट बदला प्रदान करेगा। तथा जो असंतोष प्रकट करेगा और अल्लाह के निर्णय को नापसंद करेगा, अल्लाह उससे नाराज़ होगा और यथेष्ट सज़ा देगा।فوائد الحديث
यदि मुसीबतों के समय किसी वाजिब काम, जैसे धैर्य रखना और संयम से काम लेना आदि न छोड़ा जाए या कोई हराम काम, जैसे गरीबान फाड़ना और गालों को नोचना न किया जाए, तो मुसीबतें गुनाहों का कफ़्फ़ारा (परायशचित) बन जाती हैं।
इससे अल्लाह तआला का अपनी शान के अनुसार, अपने बंदों से प्रेम करने का गुण साबित होता है।
मोमिन की आज़माइश, ईमान की निशानियों में से एक है।
इससे अल्लाह तआला का अपनी शान के अनुसार, अपने बंदों से प्रसन्न और नाराज़ होने का गुण साबित होता है।
अल्लाह तआला के लिखे भाग्य एवं तक़दीर पर राज़ी और ख़ुश रहना, पुण्यकारी है।
अल्लाह तआला के लिखे भाग्य एवं तक़दीर पर नाराज़ और नाख़ुश रहना, हराम है।
इसमें मुसीबतों के समय धैर्य एवं संयम रखने पर उभारा गया है।
कभी-कभी इंसान किसी चीज़ को नापसंद करता है, जबकि वह उसके लिए बेहतर होती है।
इससे अल्लाह तआला की, अपने सभी कामों में हिकमत साबित होती है।
बदला, कर्म ही के वर्ग का होगा।