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1- अल्लाह उस आदमी पर रहम करे, जिसने अस्र से पहले चार रकात पढ़ी।
2- नबी (सल्लाल्लाहु अलैहि वसल्लम) किसी नफ़ल नमाज़ की उतनी पाबंदी नहीं करते थे, जितनी फ़ज्र की दो रकातों की करते थे।