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सबसे बड़े गुनाह हैंः अल्लाह का साझी बनाना, अल्लाह के उपाय से निश्चिंत हो जाना तथा उसकी दया एवं कृपा से निराश होना।
सबसे बड़े गुनाह हैंः अल्लाह का साझी बनाना, अल्लाह के उपाय से निश्चिंत हो जाना तथा उसकी दया एवं कृपा से निराश होना।
अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ियल्लाहु अंहुमा) से वर्णित है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः सबसे बड़े गुनाह हैंः अल्लाह का साझी बनाना, अल्लाह के उपाय से निश्चिंत हो जाना तथा उसकी दया एवं कृपा से निराश होना।
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अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने इस हदीस में कुछ गुनाह बताए हैं, जो बड़े गुनाहों में शामिल हैं। उनमें से पहला गुनाह है, किसी को अल्लाह की तरह पालनहार अथवा पूज्य बना लेना। चूँकि यह सबसे बड़ा गुनाह है, इसलिए इसे सबसे पहले बयान किया गया है। दूसरा गुनाह है, अल्लाह की दया से निराश हो जाना, जो कि अल्लाह से बदगुमानी और उसकी असीम कृपा से अनभिज्ञता को दर्शाता है। जबकि तीसरा गुनाह है, बंदे का, निरंतर नेमतें मिलने पर इस बात से निश्चिंत हो जाना कि अल्लाह उसकी पकड़ कर सकता है। इस हदीस का यह अर्थ नहीं है कि बड़े गुनाह केवल इतने ही हैं। बड़े गुनाह बहुत-से हैं। यहाँ केवल अधिक बड़े गुनाहों का उल्लेख है।فوائد الحديث
गुनाह के दो प्रकार हैंः बड़े गुनाह और छोटे गुनाह।
शिर्क सबसे बड़ा और सबसे भयानक गुनाह है।
पवित्र अल्लाह के उपाय से निश्चिंत और उसकी दया से निराश हो जाने का हराम होना। साथ ही यह कि यह दोनों चीज़ें बड़े गुनाहों में शामिल हैं।
षड्यंत्रकारियों के षड्यंत्र के मुक़ाबले में अल्लाह के लिए षड्यंत्र शब्द के प्रयोग का जायज़ होना। दरअसल यह संपूर्णता पर आधारित गुण है। जबकि निंदित षड्यंत्र वह है जो किसी ऐसे व्यक्ति के साथ किया जाए, जो उसका अधिकारी न हो।
बंदे पर वाजिब है कि वह भय तथा आशा के बीच में रहे। जब भय करे, तो निराश न हो और जब आशा रखे, तो निश्चिंत न हो जाए।
अल्लाह के लिए उसके प्रताप के अनुरूप दया के गुण को सिद्ध करना।
सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह से अच्छा गुमान रखने का अनिवार्य होना।
التصنيفات
उपासना (इबादत) से संबंधित एकेश्वरवाद