जब खाते समय अल्लाह का नाम न लिया जाए तो उस खाने में शैतान शामिल हो जाता है। वही इस बच्ची को लाया था, ताकि इसके माध्यम…

जब खाते समय अल्लाह का नाम न लिया जाए तो उस खाने में शैतान शामिल हो जाता है। वही इस बच्ची को लाया था, ताकि इसके माध्यम से खाने में शरीक हो जाए। अतः, मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। फिर इस देहाती को ले आया ताकि उसके बहाने शरीक हो जाए, परन्तु मैंने उसका हाथ भी पकड़ लिया। उस अल्लाह की क़सम! जिसके हाथ में मेरे प्राण हैं, शैतान का हाथ इन दोनों के हाथों के साथ मेरे हाथ में है।

हुज़ैफ़ा बिन यमान- रज़ियल्लाहु अन्हुमा- कहते हैं कि हम जब अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथ खाने में शरीक होते तो अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से पहले खाने को हाथ नहीं लगाते थे। एक बार हम आपके साथ खाने बैठे थे कि अचानक एक लड़की आई। ऐसा लग रहा था कि उसे धकेला जा रहा है। वह खाने में हाथ डाल ही रही थी कि आपने उसका हाथ पकड़ लिया। फिर एक देहात का रहने वाला व्यक्ति आया। उसे भी देखकर ऐसा लग रहा था कि उसे धकेला जा रहा है। आपने उसका भी हाथ पकड़ लिया। फिर अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः जब खाते समय अल्लाह का नाम न लिया जाए तो उस खाने में शैतान शामिल हो जाता है। वही इस बच्ची को लाया था, ताकि इसके माध्यम से खाने में शामिल हो जाए। अतः, मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। फिर इस देहाती को ले आया, ताकि उसके बहाने शामिल हो जाए, परन्तु मैंने उसका हाथ भी पकड़ लिया। उस अल्लाह की क़सम, जिसके हाथ में मेरे प्राण हैं, शैतान का हाथ इन दोनों के हाथों के साथ मेरे हाथ में है। फिर आपने अल्लाह का नाम लिया और खाना खाया।

[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

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खाने-पीने के आदाब