إعدادات العرض
तीन लोगों से क़लम उठा ली गई है; सोए हुए व्यक्ति से, जब तक जाग न जाए, बच्चे से, जब तक व्यस्क न हो जाए और पागल से, जब तक उसकी…
तीन लोगों से क़लम उठा ली गई है; सोए हुए व्यक्ति से, जब तक जाग न जाए, बच्चे से, जब तक व्यस्क न हो जाए और पागल से, जब तक उसकी चेतना लौट न आए।
अली (रज़ियल्लाहु अंहु) नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से रिवायत करते हुए कहते हैं कि आपने फ़रमायाः "तीन लोगों से क़लम उठा ली गई है; सोए हुए व्यक्ति से, जब तक जाग न जाए, बच्चे से, जब तक व्यस्क न हो जाए और पागल से, जब तक उसकी चेतना लौट न आए।"
[सह़ीह़] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]
الترجمة
العربية Bosanski English فارسی Français Bahasa Indonesia Русский Türkçe اردو 中文 Kurdî Português অসমীয়া Kiswahili Tagalog አማርኛ ગુજરાતી Tiếng Việt Nederlands සිංහල پښتو Hausa ไทย മലയാളം नेपाली Кыргызча Malagasy Română Svenska తెలుగు ქართულიالشرح
यह हदीस इस बात का प्रमाण है कि बचपन, नींद तथा पागलपन योग्यता विहीन होने के कुछ कारण हैं। दरअसल योग्यता नाम है इन्सान के ऐसे शरई अधिकारों के पात्र होने का, जो उसके लिए सिद्ध होते हैं या उसपर सिद्ध होते हैं। इस आधार पर बच्चा, पागल और सोया हुआ व्यक्ति, यह तीनों लोग शरई आदेशों एवं निषेधों के पालन के बाध्य नहीं होते। यह दरअसल इन लोगों के साथ अल्लाह की करुणा एवं दया है। याद रहे कि बच्चा होने का उज़्र वयस्क होने से, सोए हुए व्यक्ति का उज़्र जाग जाने से और पागल का उज़्र सही हो जाने से दूर हो जाता है।التصنيفات
नमाज़ की शर्तें