إعدادات العرض
मैंने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल ! मैं (सबसे ज़्यादा) अच्छा व्यवहार किसके साथ करूँ? आपने फ़रमाया : " अपनी माँ के साथ, फिर अपनी…
मैंने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल ! मैं (सबसे ज़्यादा) अच्छा व्यवहार किसके साथ करूँ? आपने फ़रमाया : " अपनी माँ के साथ, फिर अपनी माँ के साथ, फिर अपनी माँ के साथ, फिर अपने बाप के साथ, फिर उनके बाद जो निकटतम संबंधी हों उनके साथ, फिर उनके बाद जो निकटतम संबंधी हों उनके साथ।”
बह्ज़ बिन हकीम से वर्णित है, वह अपने पिता से और वह अपने दादा से रिवायत करते हैं, वह कहते हैं कि मैंने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल ! मैं (सबसे ज़्यादा) अच्छा व्यवहार किसके साथ करूँ? आपने फ़रमाया : " अपनी माँ के साथ, फिर अपनी माँ के साथ, फिर अपनी माँ के साथ, फिर अपने बाप के साथ, फिर उनके बाद जो निकटतम संबंधी हों उनके साथ, फिर उनके बाद जो निकटतम संबंधी हों उनके साथ।”
[ह़सन] [इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]
الترجمة
العربية Bosanski English فارسی Français Bahasa Indonesia Русский Türkçe اردو 中文 Kurdî Português Tiếng Việt অসমীয়া Nederlands Kiswahili አማርኛ Hausa ગુજરાતી සිංහල ไทยالشرح
यह हदीस रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहार करने तथा उनपर उपकार करने की प्रेरणा देती है। साथ ही बताती है कि अच्छे व्यवहार एवं उपकार का सबसे ज़्यादा हक़दार माता है, उसके बाद पिता है और उसके बाद जो जितना निकटतम रिश्तेदार हो उसकी बारी उतना पहले आती है। माता सबसे अधिक हक़दार इसलिए है कि उसकी परेशानी, उसका स्नेह और उसकी सेवा सबसे ऊपर होती है। वह बच्चे को गर्भ में रखती है, दूध पिलाती है और उसका लालन-पालन करती है। गर्भ के दिनों में परेशानियों का सामना करती है और उसके बाद प्रसव की पीड़ा झेलती है। इसी का उल्लेख करते हुए अल्लाह तआला ने कहा है : "उसे गर्भ में रखा है उसकी माँ ने दुःख झेलकर तथा जन्म दिया उसे दुःख झेलकर।" फिर जब माता पिता से भी ऊपर है, तो अन्य लोगों से तो ऊपर होगी ही। माता-पिता के साथ अच्छे व्यवहार का एक पक्ष यह है कि उनपर धन खर्च किया जाए।