उतने ही कार्य किया करो, जिस (को जारी रखने) की तुम शक्ति रखते हो, अल्लाह की क़सम, अल्लाह (प्रतिफल देने से) नहीं उकताएगा,…

उतने ही कार्य किया करो, जिस (को जारी रखने) की तुम शक्ति रखते हो, अल्लाह की क़सम, अल्लाह (प्रतिफल देने से) नहीं उकताएगा, यहाँ तक कि तुम ख़ुद (उसे जारी रखने से) उकता जाओगे

अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की पत्नी आइशा (रज़ियल्लाहु अनहा) का वर्णन है कि हौला बिन्त तुवैत बिन हबीब बिन असद बिन अब्दुल उज़्ज़ा उनके पास से गुज़रीं। उस समय उनके पास अल्लाह के रसूल मौजूद थे। अतः, उन्होंने कहा: यह हौला बिन्त तुवैत हैं। लोगों का कहना है कि यह रात भर नहीं सोतीं। यह सुन कर अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया: रात भर नहीं सोती! (देखो) उतने ही कार्य किया करो, जिस (को जारी रखने) की तुम शक्ति रखते हो। अल्लाह की क़सम! अल्लाह (प्रतिफल देने से) नहीं उकताएगा, यहाँ तक कि तुम ख़ुद (उसे जारी रखने से) उकता जाओगे।

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

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इस्लाम में मानव के अधिकार