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अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब सोने का इरादा करते तो अपना दायाँ हाथ अपने गाल के नीचे रख लेते, फिर कहतेः…
अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब सोने का इरादा करते तो अपना दायाँ हाथ अपने गाल के नीचे रख लेते, फिर कहतेः اللَّهُمَّ قِني عذابك يوم تبعث عبادك" अर्थात, ऐ अल्लाह! मुझे उस दिन अपने अज़ाब से बचाना, जिस दिन तू अपने बंदों को जीवित करके उठाएगा।
हुज़ैफ़ा बिन यमान (रज़ियल्लाहु अनहुमा) और हफ़सा बिंत उमर बिन ख़त्ताब (रज़ियल्लाहु अनहुमा) का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब सोने का इरादा करते तो अपना दायाँ हाथ अपने गाल के नीचे रख लेते, फिर कहतेः "اللَّهُمَّ قِني عذابك يوم تبعث عبادك" अर्थात, ऐ अल्लाह! मुझे उस दिन अपने अज़ाब से बचाना, जिस दिन तू अपने बंदों को जीवित करके उठाएगा। एक रिवायत में है कि आप यह दुआ तीन बार पढ़ते थे।
[सह़ीह़] [इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे नसाई ने रिवायत किया है। - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]
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सोने तथा जागने के आदाब