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मन्नत का कफ़्फ़ारा वही है, जो क़सम का कफ़्फ़ारा है।
मन्नत का कफ़्फ़ारा वही है, जो क़सम का कफ़्फ़ारा है।
उक़बा बिन आमिर -रज़ियल्लाहु अन्हु- से रिवायत है, वह अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से रिवायत करते हैं कि आपने फ़रमाया : “मन्नत का कफ़्फ़ारा वही है, जो क़सम का कफ़्फ़ारा है।”
[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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क़समें और मन्नतें