मस्जिदें पाख़ाना- पेशाब के लिए नहीं होती हैं, बल्कि अल्लाह के स्मरण तथा क़ुरआन के पठन- पाठन के लिए होती हैं

मस्जिदें पाख़ाना- पेशाब के लिए नहीं होती हैं, बल्कि अल्लाह के स्मरण तथा क़ुरआन के पठन- पाठन के लिए होती हैं

अनस (रज़ियल्लाहु अनहु) से मरफ़ूअन रिवायत है कि मस्जिदें पाख़ाना- पेशाब के लिए नहीं होती हैं, बल्कि अल्लाह के स्मरण और नमाज़ तथा क़ुरआन के पठन- पाठन के लिए होती हैं, या जिस तरह अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया है।

[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

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मस्जिदों के आदाब