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अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ज़ुहर से पहले की चार रकातें और फ़ज्र से पहले की दो रकातें नहीं छोड़ते थे।
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ज़ुहर से पहले की चार रकातें और फ़ज्र से पहले की दो रकातें नहीं छोड़ते थे।
मुसलमानों की माता आइशा रज़ियल्लाहु अनहा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ज़ुहर से पहले की चार रकातें और फ़ज्र से पहले की दो रकातें नहीं छोड़ते थे।
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।]
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आइशा रज़ियल्लाहु अनहा बताती हैं कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम निम्नलिखित दो नफ़ल नमाज़ों को पाबंदी से अपने घर में पढ़ते थे और इन्हें छोड़ते नहीं थे : ज़ुहर से पहले दो सलाम से चार रकात और फ़ज्र की नमाज़ से पहले दो रकात।فوائد الحديث
ज़ुहर की नमाज़ से पहले चार रकात और फ़ज्र की नमाज़ से पहले दा रकात नमाज़ पाबंदी से पढ़ना मुसतहब है।
सबसे उत्तम यह है कि फ़र्ज़ नमाज़ों से पहले और बाद की सुन्नतों को घर में पढ़ा जाए। यही कारण है कि आइशा रज़ियल्लाहु अनहा ने उनके बारे में यह बताई है।