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अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़ज्र की दो रकातों में {قُلْ يَا أَيُّهَا الْكَافِرُونَ} और {قُلْ هُوَ اللهُ أَحَدٌ} पढ़ी।
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़ज्र की दो रकातों में {قُلْ يَا أَيُّهَا الْكَافِرُونَ} और {قُلْ هُوَ اللهُ أَحَدٌ} पढ़ी।
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़ज्र की दो रकातों में {قُلْ يَا أَيُّهَا الْكَافِرُونَ} और {قُلْ هُوَ اللهُ أَحَدٌ} पढ़ी।
[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फ़ज्र से पहले की दो रकात सुन्नत की पहली रकात में सूरा फ़ातिहा के बाद {قل يا أيها الكافرون} यानी सूरा काफ़िरून तथा दूसरी रकात में {قل هو الله أحد} यानी सूरा अहद पढ़ना पसंद करते थे।فوائد الحديث
फ़ज्र की सुन्नत में सूरा फ़ातिहा के बाद इन दोनों सूरतों को पढ़ना सुन्नत है।
इन दोनों सूरों को सूरा इख़लास कहा जाता है। क्योंकि सूरा काफ़िरून में अल्लाह के सिवा पूजी जाने वाली तमाम चीज़ों से बरी होने का एलान किया गया है और बताया गया है कि मुश्रिक अल्लाह के बंदे नहीं हैं, क्योंकि उनका शिर्क उनके कर्म को नष्ट कर देता है। उच्च एवं महान अल्लाह ही इबादत का हक़दार है। जबकि सूरा इख़लास के अंदर एकेश्वरवाद, बस एक अल्लाह की इबादत और अल्लाह के गुणों का बयान है।
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नमाज़ का तरीक़ा