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नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़ज्र की दो रकातों में "قل يا أيها الكافرون" और "قل هو الله أحد" पढ़ी।
नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़ज्र की दो रकातों में "قل يا أيها الكافرون" और "قل هو الله أحد" पढ़ी।
अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अन्हु- से रिवायत है कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़ज्र की दो रकातों में "قل يا أيها الكافرون" और "قل هو الله أحد" पढ़ी।
[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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यह हदीस बताती है अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- फ़ज्र की सुन्नत में कौन-कौन सी सूरतें पढ़ा करते थे। इसमें उल्लेख है कि आप पहली रकात में सूरा अल-काफ़िरून और दूसरी रकात में सूरा अल-इख़लास पढ़ा करते थे। अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अनहु-ने इस हदीस में फ़ज्र की सुन्नत को "फ़ज्र की दो रकातों" के नाम से याद किया है और इन्हें इसी नाम से जाना भी जाता है। साथ ही उन्होंने केवल सूरा अल-काफ़िरून तथा सूरा अल-इख़लास पढ़ने की बात कही, हालाँकि कहना यह चाहते हैं सूरा फ़ातिहा के बाद यह दोनों सूरतें पढ़ीं। लेकिन वर्णनकर्ता ने सूरा फ़ातिहा का उल्लेख नहीं किया, क्योंकि उसे ज़िक्र किए बिना भी समझा जा सकता है। वैसे भी, अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की हदीसों में, चाहे उनका संबंध कथन से हो या कर्म से, इसके बहुत-से उदाहरण मिल जाते हैं कि सूरा फ़ातिहा को छोड़ केवल अन्य सूरतों का उल्लेख किया गया है। इसकी वजह यह है कि सूरा फ़ातिहा पढ़ना है, यह बात सर्वविदित और बताने की ज़रूरत नहीं है। वैसे देखा जाए, तो यह भी सूरा फ़ातिहा की अनिवार्यता की प्रबलता का एक प्रमाण है।التصنيفات
नमाज़ का तरीक़ा