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फ़ितना के समय इबादत मेरी ओर हिजरत करने की तरह है।
फ़ितना के समय इबादत मेरी ओर हिजरत करने की तरह है।
माक़िल बिन यसार -रज़ियल्लाहु अनहु- का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है : "फ़ितना के समय इबादत मेरी ओर हिजरत करने की तरह है।"
[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें फ़ितना व फ़साद, हत्या, विनाश और अराजकता के समय में अल्लाह की इबादत के लिए खुद को समर्पित करने का मार्गदर्शन किया है, और कहा है कि इसका सवाब अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ओर हिजरत करने के सवाब के बराबर है। इसका कारण यह है कि लोग इस तरह के समय में अल्लाह की इबादत से दूर हो जाते हैं और इससे कुछ ही लोग जुड़े होते हैं।فوائد الحديث
फ़ितनों के दिनों फ़ितना व फ़साद से सुरक्षित रहने के लिए इबादत में व्यस्त हो जाने और अल्लाह से अपना रिश्ता जोड़ लेने की प्रेरणा।
फ़ितनों तथा अचेतना के समयों में इबादत करने की फ़ज़ीलत का बयान।
एक मुसलमान को फ़ितनों एवं अचेतना के स्थानों से दूर रहना चाहिए।
التصنيفات
सुकर्मों की फ़ज़ीलतें