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जिसके पास उसके भाई का, इज़्ज़त व आबरू या किसी और चीज़ से संबंधित कोई हक़ हो, वह आज ही उससे गरदन छुड़ा ले, इससे पहले कि…
जिसके पास उसके भाई का, इज़्ज़त व आबरू या किसी और चीज़ से संबंधित कोई हक़ हो, वह आज ही उससे गरदन छुड़ा ले, इससे पहले कि वह दिन आ जाए, जब उसके पास न दीनार होंगे न दिरहम।
अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अंहु) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "जिसके पास उसके भाई का, इज़्ज़त व आबरू या किसी और चीज़ से संबंधित कोई हक़ हो, वह आज ही उससे गरदन छुड़ा ले, इससे पहले कि वह दिन आ जाए, जब उसके पास न दीनार होंगे न दिरहम। यदि उसके पास अच्छे कर्म होंगे, तो उसके अत्याचार के बराबर ले लिए जाएँगे और अगर नेकियाँ नहीं होंगी, तो उसके साथी के गुनाह लेकर उसपर लाद दिए जाएँगे।"
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।]
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आख़िरत (परलोक) का जीवन