हमें जनाज़े के पीछे चलने से मना किया गया है, लेकिन इस मामले में हमपर सख़्ती नहीं बरती गई है।

हमें जनाज़े के पीछे चलने से मना किया गया है, लेकिन इस मामले में हमपर सख़्ती नहीं बरती गई है।

उम्मे अतिय्या- रज़ियल्लाहु अन्हा- से रिवायत है, वह कहती हैंः हमें जनाज़े के पीछे चलने से मना किया गया है, लेकिन इस मामले में हमपर सख़्ती नहीं बरती गई है।

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

الشرح

उम्मे अतिय्या अंसारी एक वरिष्ठ सहाबिया हैं। उनका कहना है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने स्त्रियों को जनाज़े के साथ चलने से मना किया है। इसका कारण यह है कि उनका दिल बड़ा नर्म होता है। उनके पास पुरुषों जैसा धैर्य और सहन शक्ति नहीं होती। अतः, उनके निकलने से रोने-धोने और फ़ितने का डर रहता है। परंतु, इसके बावजूद उन्होंने क़रीनों से यह समझा है कि यह मनाही ताकीद वाली नहीं है और इससे उसका हराम होना साबित नहीं होता। लेकिन सही यह है कि स्त्रियाँ जनाज़े के पीछे चल नहीं सकतीं। इब्ने दक़ीक़ अल-ईद कहते हैंः स्त्रियों के जनाज़े के पीछे चलने से मनाही के बारे में कई हदीसें मौजूद हैं, जो इस हदीस से अधिक सख़्ती पर दलालत करती हैं।

التصنيفات

शब्दों का अर्थों से संबंध तथा अहकाम एवं मसायल निकालने का तरीक़ा, क़ब्रों की ज़ियारत