إعدادات العرض
जब अल्लाह किसी बंदे के बारे में निर्णय करता है कि वह किस ज़मीन में मृत्यु पाएगा, तो वहाँ उसकी ज़रूरत रख देता है।
जब अल्लाह किसी बंदे के बारे में निर्णय करता है कि वह किस ज़मीन में मृत्यु पाएगा, तो वहाँ उसकी ज़रूरत रख देता है।
मतर बिन उकामिस रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, उन्होंने कहा कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "जब अल्लाह किसी बंदे के बारे में निर्णय करता है कि वह किस ज़मीन में मृत्यु पाएगा, तो वहाँ उसकी ज़रूरत रख देता है।"
[सह़ीह़] [इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है।]
الترجمة
العربية English မြန်မာ Svenska Čeština ગુજરાતી Yorùbá Nederlands اردو Español Bahasa Indonesia ئۇيغۇرچە বাংলা Bosanski සිංහල Tiếng Việt Hausa മലയാളം తెలుగు Kiswahili پښتو অসমীয়া Shqip دری Ελληνικά Български Fulfulde ಕನ್ನಡ Кыргызча Lietuvių Română Kinyarwanda Српски тоҷикӣ O‘zbek नेपाली Moore Kurdî Wolof Soomaali Français Azərbaycan Tagalog Українська தமிழ் Deutsch Bambara ქართული Português Македонски Magyar Русский فارسی 中文 ភាសាខ្មែរ Malagasy Oromoo ไทย मराठी ਪੰਜਾਬੀ Türkçe Lingala Italiano አማርኛالشرح
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि जब अल्लाह किसी के बारे में निर्णय कर देता है कि वह किसी जगह मृत्यु पाएगा, परंतु वह वहां उपस्थित नहीं होता, तो अल्लाह वहाँ उसकी ज़रूरत रख देता है तो वह वहाँ वह जाता है और वहाँ उसकी जान निकाली जाती है।فوائد الحديث
यह हदीस क़ुरआन की इस आयत की पुष्टि करती है : "किसी प्राणी को नहीं पता कि उसकी मृत्यु कहाँ होनी है।"