''मोमिन पुरुष एवं मोमिन स्त्री के साथ परीक्षाएँ सदा लगी रहती हैं; उसकी जान, उसकी संतान और उसके माल में। ताकि वह…

''मोमिन पुरुष एवं मोमिन स्त्री के साथ परीक्षाएँ सदा लगी रहती हैं; उसकी जान, उसकी संतान और उसके माल में। ताकि वह अल्लाह से मिले और उसपर कोई गुनाह न हो।''

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : ''मोमिन पुरुष एवं मोमिन स्त्री के साथ परीक्षाएँ सदा लगी रहती हैं; उसकी जान, उसकी संतान और उसके माल में। ताकि वह अल्लाह से मिले और उसपर कोई गुनाह न हो।''

[ह़सन]

الشرح

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि परीक्षाएँ कभी मोमिन पुरुष एवं मोमिन स्त्री का साथ नहीं छोड़तीं। परीक्षा कभी उसकी जान से जुड़ी हुई होती है, जैसे तबीयत खराब हो गई शरीर ठीक नहीं रहा। कभी बाल-बच्चों से जुड़ी हुई होती है, जैसे कोई बीमार हो गया, किसी मृत्यु हो गई, कोई नाफ़रमान निकल गया वग़ैरह वग़ैरह। कभी धन से जुड़ी हुई होती है, जैसे निर्धनता का सामना करना पड़ा, व्यवसाय बैठ गया, चोरी हो गई, मंदी शुरू हो गई और रोज़ी में तंगी का सामना होने लगा। फिर इन परीक्षाओं के नतीजे में अल्लाह उसके तमाम गुनाहों को मिटा देता है और अंत में जब वह अल्लाह से मिलता है, तो अपने किए हुए तमाम गुनाहों से पाक-साफ़ हो चुका होता है।

فوائد الحديث

मोमिन बंदों पर अल्लाह की दया का एक दृश्य यह है कि वह दुनिया की मुसीबतों एवं विपत्तियों द्वारा दुनिया में किए हुए उनके गुनाहों को मिटा देता है।

मुसीबत गुनाहों को मिटाने का काम करती है। बस शर्त यह है कि इन्सान के पास ईमान हो। बंदा धैर्य रखे और अल्लाह के निर्णय से विक्षुब्ध न हो, तो उसे सवाब मिल ही जाता है।

इन्सान को प्रिय एवं अप्रिय सभी परिस्थितियों में धैर्य रखना चाहिए। धैर्य के साथ अल्लाह के द्वारा अनिवार्य किए गए कार्यों को करे और धैर्य के साथ उसकी हराम की हुई चीज़ों से दूर रहे। अल्लाह के सवाब की आशा रखे और उसके दंड से डरता रहे।

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के शब्द "بالمؤمن والمؤمنة" में "المؤمنة" शब्द की वृद्धि महिला के हक़ में ताकीद लाने के लिए की गई है। वरना केवल "بالمؤمن" कहते, तब भी उसमें महिला दाख़िल हो जाती। क्योंकि मोमिन शब्द पुरुष के साथ खास नहीं है।

मुसीबतों के नतीजे में मिलने वाले सवाब का वादा इन्सान के लिए नुसीबतों का सामना करना आसान कर देता है।

التصنيفات

भाग्य एवं नियति (क़ज़ा और क़दर) पर ईमान, अंतरात्मा का शुद्धिकरण