जो किसी ऐसे रोगी का हाल- चाल पूछने जाता है, जिसकी मौत का अभी समय नहीं आया है और उसके पास सात बारः अस अलुल्लाहल अज़ीम,…

जो किसी ऐसे रोगी का हाल- चाल पूछने जाता है, जिसकी मौत का अभी समय नहीं आया है और उसके पास सात बारः अस अलुल्लाहल अज़ीम, रब्बल अर्शिल अज़ीम अन यशफ़ियका, कहता है तो अल्लाह उसे उस रोग से मुक्ति दे ही देता है

अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ियल्लाहु अनहुमा) से मरफ़ूअन वर्णित हैः जो किसी ऐसे रोगी की इयादत (बीमारपुरसी) करता है , जिसकी मौत का अभी समय नहीं आया है और उसके पास सात बारः असअलुल्लाहल अज़ीम, रब्बल अर्शिल अज़ीम अन यशफ़ियका, कहता है तो अल्लाह उसे उस रोग से मुक्ति दे ही देता है।

[सह़ीह़] [इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]

الشرح

अब्दुल्लाह बिन अब्बास -रज़ियल्लाहु अनहुमा- की इस हदीस का अर्थ यह है कि जब कोई इन्सान किसी ऐसे बीमार व्यक्ति का हाल जानने के उद्देश्य से उसके पास जाता है, जो मृत्यु रोग से ग्रसित नहीं है और फिर सात बार कहता है : "أسأل الله العظيم، رب العرش العظيم، أن يشفيك" "मैं विशाल अर्श (सिंहासन) के मालिक महान अल्लाह से प्रार्थना करता हूँ कि तुम्हें रोग से मुक्ति प्रदान करे।" तो अल्लाह उसकी बीमारी दूर कर देता है। याद रहे कि स्वास्थ्यलाभ उस समय होता है, जब मृत्यु का समय न आ गया हो। लेकिन जब मृत्यु का समय आ जाए, तो न दवा काम करती है और न दुआ। क्योंकि उच्च एवं महान अल्लाह का फ़रमान है : "प्रत्येक समुदाय का एक निर्धारित समय है। फिर जब वह समय आ जाएगा, तो क्षण भर देर या सवेर नहीं होगी।" [सूरा अल-आराफ़ : 34]

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शरई झाड़-फूँक