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यह धर्म वहाँ तक ज़रूर पहुँचेगा, जहाँ दिन और रात पहुँचती है। अल्लाह किसी नगर तथा गाँव और देहात तथा रेगिस्तान का कोई…
यह धर्म वहाँ तक ज़रूर पहुँचेगा, जहाँ दिन और रात पहुँचती है। अल्लाह किसी नगर तथा गाँव और देहात तथा रेगिस्तान का कोई घर नहीं छोड़ेगा, जहाँ इस धर्म को दाख़िल न कर दे। इस प्रकार, सम्मानित व्यक्ति को सम्मान मिलेगा और अपमानित व्यक्ति का अपमान होगा। ऐसा सम्मान, जो अल्लाह इस्लाम के आधार पर प्रदान करेगा तथा ऐसा अपमान जिससे अल्लाह कुफ़्र की बिना पर दोचार करेगा।
तमीम दारी रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को यह फरमाते हुए सुना है : "यह धर्म वहाँ तक ज़रूर पहुँचेगा, जहाँ दिन और रात पहुँचती है। अल्लाह किसी नगर तथा गाँव और देहात तथा रेगिस्तान का कोई घर नहीं छोड़ेगा, जहाँ इस धर्म को दाख़िल न कर दे। इस प्रकार, सम्मानित व्यक्ति को सम्मान मिलेगा और अपमानित व्यक्ति का अपमान होगा। ऐसा सम्मान, जो अल्लाह इस्लाम के आधार पर प्रदान करेगा तथा ऐसा अपमान जिससे अल्लाह कुफ़्र की बिना पर दोचार करेगा।" तमीम दारी रज़ियल्लाहु अन्हु कहा करते थे : मैंने इसे ख़ुद अपने परिवार के सदस्यों में देखा है। उनमें से जो मुसलमान हुआ, उसे भलाई, ऊँचाई और सम्मान मिला और जो काफ़िर ही रहा, उसे अपमान तथा निरादर का सामना करना पड़ा और जिज़या देना पड़ा।
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अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि यह दीन धरती के सभी भागों में फैल जाएगा। जहाँ भी दिन और रात का सिलसिला है, वहाँ यह दीन पहुँच जाएगा। शहर, गाँव, देहात और रेगिस्तान का ऐसा कोई घर नहीं रहेगा, जहाँ यह दीन पहुँच न जाए। ऐसे में जो इस दीन को ग्रहण करेगा और उसपर विश्वास रखेगा, वह इस्लाम के सम्मान की बरकत से सम्मानित ठहरेगा। इसके विपरीत जो उसे ठुकरा देगा, वह अपमानित होगा। फिर सहाबी तमीम दारी रज़ियल्लाहु अनहु कहते हैं कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की बताई हुई इस बात का अनुभव उन्हें खुद अपने परिवार में हुआ। जो मुसलमान हो गए, उनको सम्मान मिला और जिन्होंने इस्लाम को ठुकरा दिया, उनको अपमान का सामना करना पड़ा। उन्हें मुसलमानों को जो धन देना पड़ता है, वह इसके अतिरिक्त है।فوائد الحديث
इस हदीस में मुसलमानों के लिए यह सुसमाचार है कि उनका धर्म धरती के हर भाग में फैलकर रहेगा।
इज़्ज़त इस्लाम और मुसलमानों के लिए और ज़िल्लत कुफ़्र और काफ़िरों के लिए है।
इस हदीस में मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के रसूल होने की एक बहुत बड़ी निशानी मौजूद है कि आपने जो कुछ बताया, वह शत-प्रतिशत दुरुस्त साबित हुआ।
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क़यामत की निशानयाँ