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मुसलमान को गाली देना पाप है और उससे लड़ाई करना कुफ़्र है।
मुसलमान को गाली देना पाप है और उससे लड़ाई करना कुफ़्र है।
अब्दुल्लाह बिन मसऊद (रज़ियल्लाहु अंहु) से रिवायत है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया: "मुसलमान को गाली देना पाप है और उससे लड़ाई करना कुफ़्र है।"
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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यह हदीस एक मुसलमान के अधिकार के महत्व को उजागर करते हुए कहती है कि किसी मुसलमान का अपने भाई को गाली देना 'फ़िस्क़' यानी अल्लाह के आज्ञापालन के दायरे से बाहर निकल जाना है। जबकि जिसने अपने मुसलमान भाई से युद्ध किया और किसी मुसलमान से युद्ध करने को हलाल जाना, तो इससे वह इस प्रकार के कुफ़्र में संलिप्त हो जाता है कि मुस्लिम समुदाय से बाहर ही हो जाता है। लेकिन यदि आंतरिक अथवा सांसारिक उद्देश्य के तहत युद्ध करता है और उसके रक्तपात को हलाल नहीं समझता, तो वह निम्न स्तर के कुफ़्र में संलिप्त होगा, जिससे इनसान मुस्लिम समुदाय से बाहर नहीं हो जाता। इस अवस्था में कहा जाएगा कि उसके इस कृत्य को कुफ़्र उससे अत्यधिक सावधान करने के लिए कहा गया है।