अल्लाह उस व्यक्ति को शादाब तथा आबाद रखे, जिसने हमसे कुछ सुना और उसे जैसे सुना था, वैसे ही पहुँचा दिया।

अल्लाह उस व्यक्ति को शादाब तथा आबाद रखे, जिसने हमसे कुछ सुना और उसे जैसे सुना था, वैसे ही पहुँचा दिया।

इब्ने मसऊद -अल्लाह उनसे प्रसन्न हो- कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- को फ़रमाते हुए सुनाः "अल्लाह उस व्यक्ति को शादाब तथा आबाद रखे, जिसने हमसे कुछ सुना और उसे जैसे सुना था, वैसे ही पहुँचा दिया। क्योंकि, कभी-कभार जिसे पहुँचाया जाता है, वह सुनने वाले से अधिक याद रखने वाला तथा समझने वाला होता है।"

[सह़ीह़] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है ।]

الشرح

इस हदीस में अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने उस व्यक्ति के लिए, जो आपसे कोई हदीस सुने और उसे बिना किसी कमी-बेशी के उसी तरह पहुँचा दे जैसे सुनी थी, दुआ की है कि अल्लाह क़यामत के दिन उसके चेहरे को सुंदर बना दे। फिर उसका कारण यह बताया कि "कभी-कभार जिसे पहुँचाया जाता है, वह सुनने वाले से अधिक याद रखने वाला तथा समझने वाला होता है।" क्योंकि इन्सान कभी हदीस सुनता है और उसे दूसरों को पहुँचा देता है और जिसे उसने पहुँचाया है, वह उससे अधिक हदीस को समझने वाला और उससे बढ़कर उसपर अमल करने वाला सिद्ध होता है। हमें अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की कही हुई इस बात के बहुत-से उदाहरण देखने को मिलते हैं। मसलन आपको कई ऐसे उलेमा मिलेंगे, जो हदीस के वर्णनकर्ता हैं। वे किसी से हदीस सुनते हैं, उसे याद कर लेते हैं और दूसरे लोगों तक पहुँचा देते हैं। लेकिन असके अर्थ से अवगत नहीं होते। अलबत्ता, किसी दूसरे आलिम को पहुँचा देते हैं, जो उसके अर्थ को समझते हैं और उससे बहुत-से धार्मिक आदेश निकालते हैं और इस तरह वह लोगों को लाभान्वित करते हैं।

التصنيفات

ज्ञान तथा विद्या की फ़ज़ीलत, विद्यावान तथा विद्यार्थी के आदाब