अल्लाह उस व्यक्ति को ख़ुश व आबाद रखे, जिसने मुझसे कोई बात सुनी और उसे उसी प्रकार दूसरों तक पहुँचा दिया, जिस प्रकार…

अल्लाह उस व्यक्ति को ख़ुश व आबाद रखे, जिसने मुझसे कोई बात सुनी और उसे उसी प्रकार दूसरों तक पहुँचा दिया, जिस प्रकार मुझसे सुनी थी। क्योंकि बहुत बार सुनने वाले से वह व्यक्ति अधिक याद रखता है (या अधिक समझदार होता है) जिस तक बात पहुँचाई गई हो।

अब्दुल्लाह बिन मसऊद -रज़ियल्लाहु अनहु- का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है : "अल्लाह उस व्यक्ति को ख़ुश व आबाद रखे, जिसने मुझसे कोई बात सुनी और उसे उसी प्रकार दूसरों तक पहुँचा दिया, जिस प्रकार मुझसे सुनी थी। क्योंकि बहुत बार सुनने वाले से वह व्यक्ति अधिक याद रखता है (या अधिक समझदार होता है) जिस तक बात पहुँचाई गई हो।"

[सह़ीह़] [رواه الترمذي وابن ماجه وأحمد]

الشرح

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने ऐसे व्यक्ति को दुनिया में हरे-भरे तथा सुंदर जीवन एवं आख़िरत में जन्नत की शादाबी तथा नेमतों की प्राप्ति की दुआ दी है, जो आपकी हदीस सुने, उसे याद रखे और दूसरों को पहुँचा दे। क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि हदीस नक़ल करने वाले की तुलना में नक़ल करने वाले से प्राप्त करने वाला ही कहीं ज़्यादा याद रखने वाला, समझने वाला और उससे मसायल निकालने की सलाहियत रखने वाला होता है। इस तरह पहला व्यक्ति याद रखने और नक़ल करने का काम बेहतर अंदाज़ में करता है तथा दूसरा समझने तथा मसायल निकालने का काम बेहतर अंदाज़ में करता है।

فوائد الحديث

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत को याद करने और उसे लोगों तक पहुँचाने के लिए प्रोत्साहन।

अह्ल-ए-हदीस तथा हदीस का ज्ञान प्राप्त करने वालों की फ़ज़ीलत तथा प्रतिष्ठा का बयान।

हदीस को समझने और उससे मसायल निकालने की क्षमता रखने वाले उलेमा की फ़ज़ीलत।

सहाबा रज़ियल्लाहु अनहुम की फ़ज़ीलत, जिन्होंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की हदीस सुनी और उसे हम तक पहुँचाया।

मुनावी कहते हैं : इस हदीस से मालूम होता है कि हदीस के वर्णनकर्ता के लिए फ़क़ीह होना शर्त नहीं है। उसके लिए शर्त याद रखना है। समझने और ग़ौर व फ़िक्र करने का काम फ़क़ीह का है।

इब्न-ए-उयैना कहते हैं : हदीस के विद्धार्थी के चेहरे से हमेशा ताज़गी झलकती है।

मुहद्दिसों के यहाँ याद रखने के दो प्रकार हैं : सीने में सुरक्षित रखना और लिखित रूप से सुरक्षित रखना। दोनों प्रकार से याद रखना इस हदीस में शामिल है।

लोगों की समझ अलग-अलग हुआ करती है। क्योंकि बहुत-से सुनने वाले से सीखने वाले लोग सुनने वाले से अधिक याद रखने वाले हुआ करते हैं और बहुत-से फ़िक़्ह की सामग्री अपने पास रखने वाले लोग फ़क़ीह नहीं हुआ करते।

التصنيفات

ज्ञान तथा विद्या की फ़ज़ीलत, विद्यावान तथा विद्यार्थी के आदाब