إعدادات العرض
1- मुझे कोई ऐसा कर्म बताएँ कि उसे करूँ, तो जन्नत में दाखिल हो जाऊँ। फ़रमाया : "अल्लाह की इबादत करो, किसी को उसका साझी न बनाओ, फ़र्ज़ नमाज़ कायम करो, फ़र्ज़ ज़कात अदा करो और रमज़ान के रोज़े रखो।
2- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हमारे पास आए, तो हमने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल, हम यह तो जान गए हैं कि हम आप पर सलाम कैसे भेजें, लेकिन हम आप पर दरूद कैसे भेजें?
3- जिससे ज्ञान से संबंधित कुछ पूछा गया और उस ने उसे छिपा लिया, तो उसे क़यामत के दिन आग की लगाम पहनाई जाएगी
4- अल्लाह उस व्यक्ति को शादाब तथा आबाद रखे, जिसने हमसे कुछ सुना और उसे जैसे सुना था, वैसे ही पहुँचा दिया।
5- क्या मैं तुम्हें उन तीन व्यक्तियों के बारे में न बताऊँ? उनमें से एक ने अल्लाह की शरण ली, तो अल्लाह ने उसे अपनी शरण दे दी। दूसरा शरमाया, तो अल्लाह ने भी उसकी लाज रख ली। तीसरे ने मुँह फेरा, तो अल्लाह ने भी उससे मुँह फेर लिया
6- नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के समय में मैं छोटा च्चा था, और मुझे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की कुछ बातें याद होती थीं, परन्तु, उन्हें बयान करने से मुझे केवल यह बात रोकती थी कि मुझसे अधिक आयु वाले लोग भी मौजूद होते थे।
7- मैं अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास पहुँचा, तो उस समय आप ख़ुतबा दे रहे थे।
8- जिसने ऐसा ज्ञान प्राप्त किया, जिससे अल्लाह की खुशी प्राप्त की जाती है
9- ऐ लोगो! जिसे किसी बात का ज्ञान हो वह उस बात को कहे और जिसे ज्ञान न हो वह कहे: अल्लाह ही अधिक जानता है, क्योंकि जिसे नहीं जानता उसके बारे में यह कहना कि अल्लाह अधिक जानता है, यह भी ज्ञान है
10- अल्लाह ज्ञान को लोगों से छीनकर नहीं उठाएगा, बल्कि वह ज्ञान को बंदों से उलेमा को मौत देकर उठाएगा
11- फ़लाँ नमाज़ को फ़लाँ समय में पढ़ो और फ़लाँ नमाज़ को फ़लाँ समय में पढ़ो,जब नमाज़ का समय हो जाए तो तुम में से एक व्यक्ति अज़ान दे तथा तुम में से जो क़ुरआन का सबसे ज़्यादा याद रखता हो वह इमामत करे।
12- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने हमें सूचित किया है कि क्या हो चुका है और क्या होगा। अब हममें अधिक जानकार है जो उन बातों को सबसे अधिक याद रखता है