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अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- मृत्यु तक रमज़ान के अंतिम दस दिनों में एतिकाफ़ करते रहे। आपके बाद आपकी…
अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- मृत्यु तक रमज़ान के अंतिम दस दिनों में एतिकाफ़ करते रहे। आपके बाद आपकी पत्नियों ने भी एतिकाफ़ किया।
अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की पत्नी मुसलमानों की माता आइशा -रज़ियल्लाहु अनहा- का वर्णन है कि : अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- मृत्यु तक रमज़ान के अंतिम दस दिनों में एतिकाफ़ करते रहे। आपके बाद आपकी पत्नियों ने भी एतिकाफ़ किया।
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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मुसलमानों की माता आइशा -रज़ियल्लाहु अनहा- बताती हैं कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- लैलतुल क़द्र (सम्मानित रात्रि) की तलाश में रमज़ान के अंतिम दस दिनों में पाबंदी के साथ एतिकाफ़ करते थे। मृत्यु तक आप ऐसा ही करते रहे। आपके बाद आपकी पत्नियों ने भी एतिकाफ़ किया।فوائد الحديث
एतिकाफ़ मस्जिद में करना है। औरतें भी शरई निर्देशों का पालन करते हुए मस्जिद में एतिकाफ़ करेंगी, जब फ़ितने का भय न हो।
अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- पाबंदी के साथ एतिकाफ़ करते थे, इसलिए रमज़ान के अंतिम दस दिनों में एतिकाफ़ करना ताकीदी बात है।
एतिकाफ़ एक निरंतर रूप से जारी रहने वाली सुन्नत है, जो निरस्त नहीं हुई है, क्योंकि आपके बाद आपकी पत्नियों ने भी एतिकाफ़ किया।
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ऐतिकाफ़