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जाबिर रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत है, वह कहते हैं कि मुझे उमर बिन ख़त्ताब रज़ियल्लाहु अनहु ने बताया है : एक आदमी ने वज़ू किया और पैर में नाखून के बराबर जगह सूखी छोड़ दी। अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उसे देखा, तो फ़रमाया : “जाओ और अच्छी तरह वज़ू कर लो।” अतः, वह वापस गया और फिर उसने बाद में नमाज़ पढ़ी।

[शवाहिद के आधार पर सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

الشرح

उमर रज़ियल्लाहु अनहु कहते हैं कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने देखा कि एक व्यक्ति पूरा वज़ू कर चुका है, लेकिन उसके क़दम पर एक नाखून के बराबर जगह सूखी रह गई है, जहाँ वज़ू का पानी पहुँचा नहीं है। अतः आपने वज़ू में रह जाने वाली कमी की ओर इशारा करते हुए उससे कहा कि वापस जाओ, अच्छी तरह और संपूर्ण रूप से वज़ू करो और वज़ू के सारे अंगों तक पानी पहुँचाओ। तो वह व्यक्ति वापस गया, संपूर्ण रूप से वज़ू किया और उसके बाद नमाज़ पढ़ी।

فوائد الحديث

आगे बढ़कर अच्छे काम का आदेश देने और अज्ञान एवं निश्चेत व्यक्ति का मार्गदर्शन करने की आवश्यकता। ख़ास तौर से उस समय, जब ग़लत काम ऐसा हो कि इन्सान की इबादत को नष्ट कर दे।

वज़ू के अंगों को पूरा-पूरा धोना ज़रूरी है। जिसने किसी अंग के थोड़े-से भाग को भी सूखा रख दिया, उसका वज़ू नहीं होगा। इस अवस्था में ज़्यादा समय बीत जाने पर फिर से वज़ू करना पड़ेगा।

वज़ू अच्छी तरह करना चाहिए। यानी वज़ू के अंगों को संपूर्ण रूप से उसी तरह धोना चाहिए, जिस तरह शरीयत ने आदेश दिया है।

दोनों क़दम भी वज़ू के अंग हैं। इनका मसह काफ़ी नहीं है। धोना ज़रूरी है।

वज़ू के अंगों को लगातार धोना ज़रूरी है। हर अंग को उससे पहले वाले अंग के सूखने से पहले धो लिया जाए।

अज्ञानता एवं भूल जाने के कारण किसी काम की अनिवार्यता ख़त्म नहीं हो जाती। इतना ज़रूर है कि गुनाह नहीं होता। आप देख सकते हैं कि अज्ञानता के कारण क़दम के एक भाग को सूखा छोड़ देने वाले इस व्यक्ति के वज़ू की अनिवार्यता आप ने ख़त्म नहीं की, बल्कि दोबारा वज़ू करने का आदेश दिया।

التصنيفات

वज़ू के स्तंभ