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यहूदी वह लोग हैं, जिनपर अल्लाह का प्रकोप हुआ और ईसाई वह लोग हैं, जो गुमराह हैं।
यहूदी वह लोग हैं, जिनपर अल्लाह का प्रकोप हुआ और ईसाई वह लोग हैं, जो गुमराह हैं।
अदी बिन हातिम रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "यहूदी वह लोग हैं, जिनपर अल्लाह का प्रकोप हुआ और ईसाई वह लोग हैं, जो गुमराह हैं।"
[सह़ीह़] [इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है।]
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अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया है कि यहूदी एक ऐसा संप्रदाय है, जिसे अल्लाह के प्रकोप का सामना करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने हक़ को जानते हुए भी उसपर अमल नहीं किया। जबकि ईसाई एक गुमराह संप्रदाय है, जिन्होंने बिना ज्ञान के अमल किया।فوائد الحديث
ज्ञान एवं अमल दोनों का एक साथ जमा होना प्रकोप के शिकार होने वाले और गुमराह लोगों के रास्ते से मुक्ति का कारण है।
इसमें यहूदियों एवं ईसाइयों के रास्ते से सावधान किया गया है, और सीधे रास्ते यानी इस्लाम को अनिवार्य रूप से पकड़े रहने की प्रेरणा दी गई है।
यहूदी एवं ईसाई दोनों गुमराह और प्रकोप के शिकार लोग हैं, लेकिन यहूदियों का सबसे विशिष्ट विशेषता प्रकोप का शिकार होना और ईसाइयों का सबसे विशिष्ट विशेषता गुमराह हो जाना है।