अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हर नमाज़ के लिए वज़ू कर लिया करते थे*। मैंने पूछा : आप लोग क्या करते थे?…

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हर नमाज़ के लिए वज़ू कर लिया करते थे*। मैंने पूछा : आप लोग क्या करते थे? उन्होंने उत्तर दिया : हमारे लिए वज़ू उस समय तक काफ़ी हो जाता था, जब तक वज़ू भंग न हो जाए।

अम्र बिन आमिर का वर्णन है कि अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अनहु ने कहा है : अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हर नमाज़ के लिए वज़ू कर लिया करते थे। मैंने पूछा : आप लोग क्या करते थे? उन्होंने उत्तर दिया : हमारे लिए वज़ू उस समय तक काफ़ी हो जाता था, जब तक वज़ू भंग न हो जाए।

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।]

الشرح

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हर फ़र्ज़ नमाज़ के लिए वज़ू कर लिया करते थे, चाहे वज़ू न भी टूटे। ऐसा आप सवाब तथा प्रतिफल प्राप्त करने के लिए करते थे। यह अलग बात है कि जब तक वज़ू न टूटे इन्सान एक ही वज़ू से एक से अधिक फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ सकता है।

فوائد الحديث

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अधिकतर हर नमाज़ के लिए वज़ू कर लिया करते थे। क्योंकि यही सबसे संपूर्ण तरीक़ा है।

हर नमाज़ के समय वज़ू करना मुसतहब (वांछित) है।

एक वज़ू से एक से अधिक नमाज़ें पढ़ना जायज़ है।

التصنيفات

वज़ू की फ़ज़ीलत