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कोई रोग संक्रामक नहीं होता, अपशगुन कोई वस्तु नहीं है, उल्लू का कोई कुप्रभाव नहीं पड़ता और सफ़र मास में कोई दोष नहीं…
कोई रोग संक्रामक नहीं होता, अपशगुन कोई वस्तु नहीं है, उल्लू का कोई कुप्रभाव नहीं पड़ता और सफ़र मास में कोई दोष नहीं है।
अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अंहु) नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से रिवायत करते हैं कि आपने फ़रमायाः "कोई रोग संक्रामक नहीं होता, अपशगुन कोई वस्तु नहीं है, उल्लू का कोई कुप्रभाव नहीं पड़ता और सफ़र मास में कोई दोष नहीं है।" इस हदीस को इमाम बुख़ारी और इमाम मुस्लिम ने रिवायत किया है। तथा सहीह मुस्लिम में यह वृद्धि हैः "तथा न नक्षत्रों का कोई प्रभाव पड़ता है, न भूत के पास हानि पहुँचाने की शक्ति है।"
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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जाहिलियत (अज्ञान) काल के लोग बहुत-से तथ्यहीन मिथक, कल्पनाएँ और अंधविश्वासों से जुड़े हुए थे, जिनसे इस्लाम अपने मानने वालों को बचाना चाहता था। यही कारण है कि इस हदीस में उल्लेखित वस्तुओं से संबंधित मुश्रिकों के अंधविश्वास का खंडन किया गया है। अतएव, इनमें से कुछ चीज़ों के अस्तित्व का ही इनकार कर दिया है और कुछ वस्तुओं के स्वयं प्रभावपूर्ण होने का इनकार किया है; क्योंकि भलाई प्रदान करने और बुराई से बचाने की शक्ति केवल अल्लाह के पास है।