जाहिलियत के मसायल

जाहिलियत के मसायल

2- "वह व्यक्ति हममें से नहीं, जिसने अपशगुन लिया अथवा जिसके लिए अपशगुन लिया गया, जिसने ओझा वाला कार्य किया अथवा ओझा वाला कार्य किसी से करवाया, जिसने जादू किया या जादू करवाया*। तथा जिसने कोई गिरह लाई और जो किसी ओझा के पास गया और उसकी बात को सच माना, उसने उस शरीयत का इनकार किया, जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतारी गई है।"

3- कुछ लोगों ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से काहिनों (ओझों) के बारे में पूछा तो आपने फ़रमाया : "इन लोगों की बातों में कोई सच्चाई नहीं होती।" लोगों ने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! यह लोग कभी-कभी ऐसी बात बताते हैं, जो सच हो जाया करती है। अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "@यह सच्ची बात वह होती है, जिसे जिन्न उचक लेता है और उसे अपने इंसान दोस्त के कान में ऐसी आवाज़ में डाल देता है, जो मुर्गी के कुड़कुड़ाने जैसी होती है, फिर यह लोग उसके साथ अपनी तरफ से सौ से अधिक झूठ मिला देते हैं।"

4- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अक़बा की सुबह, जबकि आप अपनी ऊँटनी पर सवार थे, फ़रमाया : "मेरे लिए कुछ कंकड़ी चुनो।" चुनांचे मैंने आपके लिए सात कंकड़ी चुने, जो चने के दाने के बराबर थे। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उन्हें अपनी हथेली में रखकर झाड़ने लगे और कहने लगे : "इसी तरह के कंकड़ी मारा करो।" फिर फ़रमाया : @ "लोगो, दीन में अतिशयोक्ति से बचो। क्योंकि दीन में इसी अतिशयोक्ति ने तुमसे पहले लोगों का विनाश किया है।"