إعدادات العرض
वह व्यक्ति जहन्नम में प्रवेश नहीं करेगा, जिसने सूरज निकलने और सूरज डूबने से पहले नमाज़ पढ़ी।
वह व्यक्ति जहन्नम में प्रवेश नहीं करेगा, जिसने सूरज निकलने और सूरज डूबने से पहले नमाज़ पढ़ी।
अबू ज़ुहैर उमारा बिन रुऐबा रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है : "वह व्यक्ति जहन्नम में प्रवेश नहीं करेगा, जिसने सूरज निकलने और सूरज डूबने से पहले नमाज़ पढ़ी।"
[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
الترجمة
العربية বাংলা Bosanski English Español فارسی Français Bahasa Indonesia Русский Tagalog Türkçe اردو 中文 ئۇيغۇرچە Kurdî Português සිංහල Nederlands অসমীয়া Tiếng Việt Kiswahili ગુજરાતી پښتو Hausa Română മലയാളം Deutsch नेपाली ქართული Moore Magyar తెలుగు Кыргызча Svenska ಕನ್ನಡ Українська Kinyarwanda Македонски Oromoo ไทยالشرح
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि वह व्यक्ति हरगिज़ जहन्नम में प्रवेश नहीं करेगा, जिसने फ़ज्र और अस्र की नमाज़ पाबांदी से पढ़ी। इन दोनों नमाज़ों का उल्लेख विशेष रूप से इसलिए किया गया है कि ये सबसे भारी नमाज़ें हैं। सुबह का समय नींद का आनंद लेने का समय होता है और अस्र का समय दिन के कामों और कारोबार में व्यस्त रहने का समय। ज़ाहिर सी बात है कि जो इन कठिन समयों में पढ़ी जाने वाली नमाज़ों की पाबंदी करेगा, वह बाक़ी समयों में पढ़ी जाने वाली नमाज़ों की पाबंदी तो करेगा ही।فوائد الحديث
फ़ज्र और अस्र की नमाज़ों की फ़ज़ीलत। अतः इन दोनों की पाबंदी करनी चाहिए।
जो व्यक्ति इन दोनों नमाज़ों की पाबंदी करता है, वह आम तौर पर सुस्ती एवं दिखावा जैसी चीज़ों से दूर होता है एवं इबादत से मोहब्बत रखता है।
التصنيفات
नमाज़ की फ़ज़ीलत