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किसी ज़ालिम बादशाह के सामने न्याय की बात करना सर्वश्रेष्ठ जिहाद है।
किसी ज़ालिम बादशाह के सामने न्याय की बात करना सर्वश्रेष्ठ जिहाद है।
अबू सईद खुदरी (रज़ियल्लाहु अंहु) कहते हैं कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "किसी ज़ालिम बादशाह के सामने न्याय की बात करना सर्वश्रेष्ठ जिहाद है।"
[सह़ीह़] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है ।]
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इस हदीस में अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने बताया है कि इनसान का सबसे बड़ा जिहाद किसी अत्याचारी शासक के सामने सत्य कहना है। क्योंकि यहाँ इस बात का भय रहता है कि कहीं वह सत्य कहने के कारण बदला लेने, कष्ट देने या वध करने पर न उतर आए। याद रहे कि जिहाद हाथ से भी होता है, जैसे काफ़िरों से रणभूमि में युद्ध करना, ज़बान से भी होता है, जैसे अत्याचारियों का खंडन करना और हृदय से भी होता है, जैसे अपनी आत्मा से जिहाद करना।