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मैं तथा अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जुंबी होते और एक ही बर्तन से स्नान कर लेते थे। मैं माहवारी में होती…
मैं तथा अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जुंबी होते और एक ही बर्तन से स्नान कर लेते थे। मैं माहवारी में होती और आपके आदेश से लंगोटा बाँध लेती, फिर आप मुझसे मुबाशिरत करते।
मुसलमानों की माता आइशा रज़ियल्लाहु अनहा का वर्णन है, वह कहती हैं : मैं तथा अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जुंबी होते और एक ही बर्तन से स्नान कर लेते थे। मैं माहवारी में होती और आपके आदेश से लंगोटा बाँध लेती, फिर आप मुझसे मुबाशिरत करते। इसी तरह, आप ऐतिकाफ़ में होते और अपना सर मेरी ओर निकाल देते एवं मैं उसे धो देती, जबकि मैं माहवारी में होती थी।
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मुसलमानों की माता आइशा रज़ियल्लाहु अनहा अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ की अपनी कुछ विशेष परिस्थितियों का उल्लेख कर रही हैं, एक यह कि वह अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ जनाबत (संभोग अथवा स्वप्नदोष के कारण अपवित्र होने के बाद) का स्नान किया करतीं तो दोनों एक ही बर्तन से पानी लेकर स्नान किया करते थे। दूसरी यह कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब उनके साथ उनकी माहवारी की अवस्था में अपना शरीर मिलाने का इरादा करते, तो उनको अपने शरीर पर नाभी से घुटनों तक कपड़ा लपेट लेने का आदेश देते और उसके बाद उनके शरीर से अपना शरीर मिलाते। इस दौरान आप संभोग छोड़ सब कुछ करते थे। तीसरी यह कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मस्जिद में एतिकाफ़ कर रहे होते और इस दौरान अपना सर आइशा रज़ियल्लाहु अनहा के घर की ओर निकाल देते तथा वह माहवारी की अवस्था में अपने घर से आपका सर धोतीं।فوائد الحديث
पति-पत्नी का एक ही बर्तन से एक साथ स्नान करना जायज़ है।
माहवारी की अवस्था में औरत की शर्मगाह को छोड़ शेष शरीर के साथ शरीर मिलाना जायज़ है। उसका शरीर पाक है।
शरीर से शरीर मिलाते समय माहवारी वाली स्त्री के लिए शर्मगाह पर कपड़ा बाँध लेना मुसतहब है।
हराम कार्य में संलिप्तता से रोकने के साधन एख़्तियार करना।
महिला माहवारी की अवस्था में मस्जिद में रुक नहीं सकती।
महिला माहवारी की अवस्था में सूखी तथा गीली दोनों तरह की चीज़ों को छू सकती है। मसलन किसी के बाल धो सकती है और कंघी कर सकती है।
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का सुंदर दामपत्य जीवन।