मैं तथा अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जुंबी (संभोग करने के कारण) होते और एक ही बर्तन से स्नान कर लेते थे।

मैं तथा अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जुंबी (संभोग करने के कारण) होते और एक ही बर्तन से स्नान कर लेते थे।

आइशा- रज़ियल्लाहु अन्हा- कहती हैं कि मैं तथा अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) एक ही बरतन से स्नान करते थे, जबकि दोनों जनाबत (संभोग से होने वाली नापाकी) की हालत में होते थे। आप मुझे आदेश देते कि मैं ठीक से तहबंद बाँध लूँ और फिर मेरे साथ चिमटकर लेट जाते थे, जबकि मैं माहवारी में होती थी। तथा आप एतेकाफ की अवस्था में मेरी ओर अपना सिर निकाल देते और मैं उसे धो दीती थी, जबकि मैं माहवारी में होती थी।

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

الشرح

नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- एवं आपकी पत्नी आइशा -रज़ियल्लाहु अनहा- जनाबत का स्नान एक ही बर्तन से करते थे, क्योंकि पानी पाक है, जूनबी के बर्तन से पानी लेने से बर्तन का पानी नापाक नहीं होता, यदि हाथों को बर्तन में डालने से पहले धो लिया जाए। नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने अपनी उम्मत के लिए माहवारी वाली स्त्री के साथ रहने-सहने को जायज़ क़रार दिया है, जबकि यहूदी उनके साथ खाने-पीने और सोने से परहेज़ करते थे। आइशा -रज़ियल्लाहु अनहा- जब माहवारी में होतीं, तो नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- उन्हें आदेश देते थे कि अच्छी तरह तहबंद बाँध लें, फिर उनसे चिपक कर सोते, लेकिन संभोग नहीं करते। इसी तरह नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- मस्जिद में ऐतिकाफ़ में होते हुए अपना सर आइशा -रज़ियल्लाहु अनहा- की ओर निकाल देते और वह अपने घर से ही उसे धो देतीं। इससे मालूम हुआ कि इस तरह के कामों के लिए माहवारी वाली स्त्रियों के निकट होने में कोई रुकावट नहीं है। शरीयत ने इस मामले में उदारता दिखाई है, जबकि यहूदियों को इससे परहेज़ था। हाँ, कोई स्त्री माहवारी की स्थिति में मस्जिद में प्रवेश नहीं करेगी, ताकि कहीं वह गंदी न हो जाए, जैसा कि इस हदीस में है।

التصنيفات

आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का निकाह तथा परिवार के साथ जीवन व्यतीत करने का तरीक़ा