ईमान की सत्तर से कुछ अधिक अथवा साठ से कुछ अधिक शाखाएँ हैं। जिनमें सर्वश्रेष्ठ शाखा 'ला इलाहा इल्लल्लाह' कहना है।…

ईमान की सत्तर से कुछ अधिक अथवा साठ से कुछ अधिक शाखाएँ हैं। जिनमें सर्वश्रेष्ठ शाखा 'ला इलाहा इल्लल्लाह' कहना है। जबकि सबसे छोटी शाखा रास्ते से कष्टदायक वस्तु को हटाना है

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "ईमान की सत्तर से कुछ अधिक अथवा साठ से कुछ अधिक शाखाएँ हैं। जिनमें सर्वश्रेष्ठ शाखा 'ला इलाहा इल्लल्लाह' कहना है। जबकि सबसे छोटी शाखा रास्ते से कष्टदायक वस्तु को हटाना है। हया भी ईमान की एक शाखा है।"

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

الشرح

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि ईमान की बहुत-सी शाखाएँ हैं, जिनमें से कुछ कार्य हैं, कुछ आस्थाएँ और कुछ कथन। जबकि ईमान की सबसे उत्तम एवं उत्कृष्ट शाखा ला इलाहा इल्लल्लाह कहना है, उसके अर्थ को जानते हुए और उसके तक़ाज़ों पर अमल करते हुए। यानी केवल अल्लाह ही एकमात्र इबादत के लायक़ है। उसके सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं है। जबकि ईमान का सबसे कम रुतबे वाला काम यह है कि रास्तों से लोगों को कष्ट देने वाली चीज़ों को हटाया जाए। फिर अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया कि हया भी ईमान की एक शाखा है। याद रहे कि हया इन्सान का एक आचरण है, जो उसे अच्छा काम करने और बुरे काम से बचे रहने की प्रेरणा देता है।

فوائد الحديث

ईमान की बहुत-सी श्रेणियाँ हैं, जिनमें से कुछ अन्य से उत्कृष्ट हैं।

ईमान कथन, कर्म और आस्था का नाम है।

अल्लाह से हया का तक़ाज़ा यह है कि अल्लाह तुम्हें वहाँ न देखे, जहाँ जाने से उसने मना किया है और उस जगह अनुपस्थित न पाए, जहाँ रहने का उसने आदेश दिया है।

यहाँ संख्या का उल्लेख सीमित करने के लिए नहीं, बल्कि ईमान के कार्यों की बाहुल्यता को बतलाने के लिए है। क्योंकि अरब के लोग कभी-कभी कोई संख्या बोल देते हैं, लेकिन उनका मतलब यह नहीं होता कि इससे अधिक नहीं हो सकता।

التصنيفات

ईमान का बढ़ना और घटना