إعدادات العرض
1- ईमान की सत्तर से कुछ अधिक अथवा साठ से कुछ अधिक शाखाएँ हैं।
2- तुममें से जो व्यक्ति कोई बुराई देेखे, उसे अपने हाथ से बदल दे।
3- जिसने इस्लाम की हालत में अच्छे काम किए हैं, उसे अज्ञानता काल के गुनाहों का जवाबदेह होना नहीं पड़ेगा।
4- अल्लाह ने मुझसे पहले किसी उम्मत में जो भी रसूल भेजा, अपनी उम्मत में उसके कुछ मित्र एवं साथी हुआ करते थे, जो उसकी सुन्नत पर अमल करते और उसके आदेश का अनुसरण करते थे। फिर उनके बाद ऐसे कपूत पैदा हुए कि जो कहते थे, उसे करते नहीं थे और वह करते थे, जिसका उन्हें आदेश नहीं दिया गया था।
5- मुसलमान वह है, जिसकी ज़बान और हाथ से मुसलमान सुरक्षित रहें और मुहाजिर वह है, जो अल्लाह की मना की हुई चीज़ें छोड़ दे
6- हम अपने दिलों में ऐसी बातें पाते हैं, जिनको बोलना हमें बहुत बड़ा (गुनाह) लगता है। यह सुन आपने कहा : "क्या तुम सचमुच ऐसा महसूस करते हो?" उन्होंने कहा : अवश्य महसूस करते हैं। आपने कहा : "यही स्पष्ट ईमान है।
7- ईमान तुम्हारे दिल में उसी तरह पुराना हो जाता है, जिस तरह पुराना कपड़ा जर्जर हो जाता है। इसलिए अल्लाह से दुआ करो कि तुम्हारे दिलों में ईमान को नया कर दे।