إعدادات العرض
हम (मासिक धर्म से) पाक होने के बाद मटमैले और पीले रंग के पानी को कुछ शुमार नहीं करती थीं
हम (मासिक धर्म से) पाक होने के बाद मटमैले और पीले रंग के पानी को कुछ शुमार नहीं करती थीं
उम्मे उतिय्या नुसैबा बिन्त हारिस अंसारिया (रज़ियल्लाहु अनहा) से वर्णित है, वह कहती हैं: हम (मासिक धर्म से) पाक होने के बाद मटमैले और पीले रंग के पानी को कुछ शुमार नहीं करती थीं।
[सह़ीह़] [इसे बुखारी ने इन्हीं जैसे शब्दों के साथ रिवायत किया है ।]
الترجمة
عربي বাংলা Bosanski English Español فارسی Français Bahasa Indonesia Русский Tagalog Türkçe اردو 中文 ئۇيغۇرچە Hausa Kurdî Português සිංහල Svenska ગુજરાતી አማርኛ Yorùbá Tiếng Việt Kiswahili پښتو অসমীয়া دری mgالشرح
उम्म-ए-अतिय्या -रज़ियल्लाहु अनहा- ने स्त्रियों के गर्भाशय से निकलने वाले रक्त के बारे में अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की एक सुन्नत नक़ल की है, जो मौन सहमति पर आधारित है। वह कहती हैं : "हम नहीं समझते थे मटमैले रंग के पानी को" यानी ऐसे पानी को जिसका रंग मिट्टी मिले हुए पानी की तरह हो "और पीले रंग के पानी को" यानी स्त्री को नज़र आने वाले उस पानी को जो पीप की तरह हो और उसके ऊपर पीला रंग हो "पाक होने के बाद" यानी सफ़ेद रंग का पानी और सूखापन देख लेने के बाद "कुछ भी।" यानी हम उसे हैज़ शुमार नहीं करते थे। हदीसों में प्रयुक्त होने वाले शब्द "كنا" (हम करते थे) के बारे में सबसे मशहूर मत यह है कि यह मरफ़ू हदीस के समान है। क्योंकि इस शब्द का मतलब यह हुआ करता है कि हम अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के ज़माने में करते थे और आपको इसकी जानकारी हुआ करती थी। अतः यह आपकी मौन सहमति हुई। यह हदीस इस बात का प्रमाण है कि पाक होने के बाद आने वाला ऐसा रक्त जो काले रंग का और गाढ़ा न हो, उसे माहवारी नहीं समझा जाएगा। याद रहे कि पाक होने की दो निशानियाँ हुआ करती हैं : पहली : सफ़ेद रंग का पानी नज़र आना। कुछ लोगों का कहना है कि इससे मुराद एक सफ़ेद धागे जैसी चीज़ होती है, जो रक्त बंद होने के बाद गर्भाशय से निकलती है। दूसरी : शुष्क हो जाना। इसका मतलब यह है कि योनि में जो चीज़ रखी जाए, उसमें गीलापन न आए। हदीस के शब्द "पाक होने के बाद" का विपरीत अर्थ यह है कि माहवारी के दिनों में नज़र आने वाले पीले एवं मटमैले रंग के पानी को माहवारी समझा जाएगा।