अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब छींकते, तो अपना हाथ या कपड़ा अपने मुँह पर रख लेते और अपनी आवाज़ धीमी (या…

अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब छींकते, तो अपना हाथ या कपड़ा अपने मुँह पर रख लेते और अपनी आवाज़ धीमी (या नीची) रखते।

अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब छींकते, तो अपना हाथ या कपड़ा अपने मुँह पर रख लेते और अपनी आवाज़ धीमी (या नीची) रखते। वर्णनकर्ता को शक है कि आपने दोनों में कौन-सा शब्द प्रयोग किया था।

[सह़ीह़] [इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है।]

الشرح

यह हदीस छींकने के शिष्टाचारों में से एक शिष्टाचार बताती है। इसमें बताया गया है कि छींकने वाले को बहुत ज़ोर से छींकना नहीं चाहिए। इसमें आवाज़ बहुत ज़्यादा ऊँची करने के बजाय धीमी रखनी चाहिए और संभव हो तो चेहरे को ढाँप लेना चाहिए।

التصنيفات

छींकने तथा उबासी के आदाब, अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के गुण तथा आचरण