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जिसने दो ठंडे समय की नमाज़ें पढ़ीं, वह जन्नत में जाएगा।
जिसने दो ठंडे समय की नमाज़ें पढ़ीं, वह जन्नत में जाएगा।
अबू मूसा अशअरी रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "जिसने दो ठंडे समय की नमाज़ें पढ़ीं, वह जन्नत में जाएगा।"
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अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने दो ठंडे समयों में पढ़ी जाने नमाज़ों यानी फ़ज्र और अस्र का ख़ास ध्यान रखने की प्रेरणा दी है, और उनको सुचारू रूप से यानी समय पर और जमात के साथ पढ़ने वाले को सुसमाचार दिया है कि यह दोनों नमाज़ें उसके लिए जन्नत में प्रवेश का सबब बनेंगी।فوائد الحديث
फ़ज्र एवं अस्र की नमाज़ पाबंदी से पढ़ने की फ़ज़ीलत, क्योंकि फ़ज्र की नमाज़ मीठी नींद के समय पढ़ी जाती है और अस्र की नमाज़ काम-काज के समय। ज़ाहिर सी बात है कि जो इन दोनों नमाज़ों को पाबंदी से पढ़ेगा, उससे अन्य नमाज़ें छूट नहीं सकतीं।
फ़ज्र एवं अस्र की नमाज़ को ठंडी नमाज़ों का नाम इसलिए दिया गया है कि फ़ज्र की नमाज़ के समय रात की ठंडक हुआ करती है और अस्र की नमाज़ के समय दिन की ठंडक। वैसे तो अस्र की नमाज़ गर्मी के समय पढ़ी जाती है, लेकिन उस समय गर्मी पहले से कम हो जाया करती है। ऐसा भी हो सकता है कि यह नाम एक को दूसरे पर हावी करते हुए दिया गया हो, जैसा कि अरबों के यहाँ सूरज और चाँद को अल-क़मरान यानी दो चाँद कहा जाता है।
التصنيفات
नमाज़ की फ़ज़ीलत