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जो चीज़ तुम्हें संदेह में डाले, उसे छोड़कर वह अख़्तियार करो, जो संदेह में न डाले। क्योंकि सच्चाई इत्मीनान है और झूठ…
जो चीज़ तुम्हें संदेह में डाले, उसे छोड़कर वह अख़्तियार करो, जो संदेह में न डाले। क्योंकि सच्चाई इत्मीनान है और झूठ शक व शुबह है।
अबुल हौरा सादी कहते हैं : मैंने हसन बिन अली रज़ियल्लाहु अनहुमा से पूछा : आपने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से क्या याद किया है? उन्होंने उत्तर दिया : मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से यह याद किया है : "जो चीज़ तुम्हें संदेह में डाले, उसे छोड़कर वह अख़्तियार करो, जो संदेह में न डाले। क्योंकि सच्चाई इत्मीनान है और झूठ शक व शुबह है।"
[सह़ीह़]
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अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने ऐसे कार्यों एवं कथनों से दूर रहने का आदेश दिया है, जिनके बारे में संदेह हो कि वर्जित हैं या नहीं? हलाल हैं या हराम? इन्सान को ऐसी चीज़ें अपनानी चाहिए, जिनके अच्छे एवं हलाल होने का यक़ीन हो। क्योंकि उनसे इन्सान का दिल संतुष्ट रहता है। जबकि संदेह वाली चीज़ें इन्सान के दिल को बेचैन और परेशान रखती हैं।فوائد الحديث
मुसलमान पर लाज़िम है कि अपने तमाम मामलात की बुनियाद यक़ीन पर रखे और सूझ-बूझ एवं आगही के साथ दीन पर अमल करे।
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दो प्रमाणों के बीच टकराव तथा तरजीह