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निश्चय ही झाड़-फूंक करना, तावीज़ गंडे बाँधना और पति-पत्नी के बीच प्रेम पैदा करने के लिए जादूई अमल करना शिर्क है।
निश्चय ही झाड़-फूंक करना, तावीज़ गंडे बाँधना और पति-पत्नी के बीच प्रेम पैदा करने के लिए जादूई अमल करना शिर्क है।
अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अनहु से वर्णित है, उन्होंने कहा : मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को कहते हुए सुना है : "निश्चय ही झाड़-फूंक करना, तावीज़ गंडे बाँधना और पति-पत्नी के बीच प्रेम पैदा करने के लिए जादूई अमल करना शिर्क है।"
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अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कुछ चीज़ें बयान की हैं, जिनमें संलिप्त होना शिर्क हैं। उनमें से कुछ चीज़ें इस प्रकार हैं : 1- झाड़-फूंक करना : यानी शिर्क पर आधारित ऐसी बातें जिनको पढ़कर अज्ञानता काल (जाहिलियत काल) के लोग बीमारी से शिफ़ा पाने के लिए दम किया करते थे। 2- मनकों आदि से बने हुए तावीज़, जिनको बुरी नज़र लगने से बचाव के लिए बच्चों और जानवरों के शरीर में बाँधा जाता है। 3- ऐसे जादूई अमल जो पति-पत्नी में स किसी एक को दूसरे के निकट प्रिय बनाने के लिए किए जाते हैं। यह सारी चीज़ें शिर्क हैं। क्योंकि इनके द्वारा ऐसी चीज़ों को सबब बना दिया जाता है, जिनका सबब होना किसी शरई दलील और किसी भौतिक तजुर्बा से प्रमाणित नहीं है। जहाँ तक शरई साधन, जैसे क़ुरआन पाठ करना या भौतिक साधन, जैसे ऐसी दवाएँ जिनका लाभकारी होना अनुभव या परीक्षण से प्रमाणित है, तो ये इस अक़ीदे (आस्था) के साथ जायज़ हैं कि ये केवल साधन हैं तथा लाभ एवं हानि अल्लाह के हाथ में है।فوائد الحديث
तौहीद तथा अक़ीदे को उन तमाम चीज़ों से सुरक्षित रखना, जो उसे दूषित करते हैं।
झाड़-फूंक करने के शिर्क पर आधारित सारे रूप, तावीज़-गंडे और पति-पत्नी के बीच प्रेम पैदा किए जाने वाले जादूई कार्य हराम हैं।
इन तीन चीज़ों को साधन समझना छोटा शिर्क है, क्योंकि यह ऐसी चीज़ों को साधन मानना है, जो वास्तव में साधन हैं ही नहीं। लेकिन अगर इन तीन चीज़ों को अपने आपमें लाभाकरी तथा हानिकारक मान लिया जाए, तो यह बड़ा शिर्क है।
इस हदीस में शिर्क पर आधारित तथा हराम साधनों को अपनाने से सावधान किया गया है।
झाड़-फूंक करना भी शिर्क तथा हराम होता है। यह अलग बात है कि इसके कुछ जायज़ रूप भी हैं।
दिल का संबंध केवल अल्लाह से होना चाहिए। वही लाभ तथा हानि का मालिक है। उसका कोई साझी नहीं है। जो भी अच्छी चीज़ मिलती है, उसी के पास से मिलती है और वही बुराई से बचाता है।
झाड़-फूंक करने का जायज़ रूप वह है, जिसमें तीन शर्तें पाई जाएँ : 1- इस बात का विश्वास रखा जाए कि यह केवल साधन है और अल्लाह की अनुमति के बिना लाभकारी नहीं होता। 2- झाड़-फूंक क़ुरआन, अल्लाह के नामों, गुणों, अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सिखाई हुई दुआओं और जायज़ दुआओं के द्वारा किया जाए। 3- जो शब्द कहे जाएँ, वो समझे जाने वाले हों। उनमें जादू-टोना न हो।
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शरई झाड़-फूँक